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बीते सीजन में शाल इंडस्ट्री को नहीं मिली 'गर्माहट', अब कच्चा माल नहीं आने से संकट

अमृतसर शाल इंडस्ट्री का हब माना जाता है। यहां पर तैयार होने वाले शाल की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी मांग है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 02:00 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 02:00 PM (IST)
बीते सीजन में शाल इंडस्ट्री को नहीं मिली 'गर्माहट', अब कच्चा माल नहीं आने से संकट

जासं, अमृतसर: अमृतसर शाल इंडस्ट्री का हब माना जाता है। यहां पर तैयार होने वाले शाल की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी मांग है। यहां से काफी माल विदेशों में सप्लाई होता है। पिछले साल मार्च में पहले कोरोना, फिर किसान आंदोलन ने उद्योग की सप्लाई चेन तोड़ी और बाहर से व्यापारी न आने के कारण कारोबार प्रभावित रहा। अब कोरोना की दूसरी लहर में कच्चे माल की डिलीवरी नहीं होने के कारण अमृतसर की शाल इंडस्ट्री को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जो शाल इंडस्ट्री हर साल हजारों करोड़ रुपये का व्यापार करती थी, वह अब घुटनों के बल आ गई है।

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शहर की बात करें तो शाल इंडस्ट्रंी के 1800 के लगभग यूनिट हैं। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश से मुख्य रूप से कच्चा माल आता है। इस समय महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बंदिशों के कारण कच्चा माल नहीं आ रहा। इसी कारण यह समस्या बढ़ गई है। सितंबर से फरवरी तक इस सीजन में शाल इंडस्ट्री को करीब 2000 हजार रुपये का घाटा हआ है। हर साल शाल इंडस्ट्री का व्यापार तीन हजार से 3500 करोड़ रुपये के बीच रहता है। यह अब 50 से 70 प्रतिशत तक कम होकर 1000 से 1500 करोड़ रुपये तक सिमट गया है। उद्योगपतियों को उम्मीद थी कि सरकार उद्यमी स्पेशल पैकेज लेकर आएगी। मगर ऐसा कुछ भी नही हुआ। ऐसे में उद्योगपतियों का माल गोदामों में डंप हो रहा है। कई राज्यों लाकडाउन के कारण व्यापारी नहीं आ रहे

पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ और महासचिव समीर जैन ने कहा कि पहले किसान आंदोलन के कारण प्रदेश में व्यापारियों का आगमन व सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी। इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ा है। लाकडाउन खुलने के बाद ट्रेनें चलीं और लोगों की आवाजाही भी शुरू हो गई थी। उस समय शाल व्यापारियों को लग रहा था कि काम फिर पटरी पर आ गया है। मगर 25 सितंबर 2020 से गाड़ियां बंद हो गई। कोविड संक्रमण बढ़ा तो दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्य बंद हो गए और व्यापारी आ नहीं रहे। कच्चे माल की सप्लाई भी ठप हो गई। दूसरा इस समय कच्चे माल के दाम भी महंगे हो गए हैं और उन्हें आर्डर पुराने रेट पर ही करने पड़ेंगे। कश्मीरी लोगों के भी न आने से हुआ नुकसान

हर साल बड़ी संख्या में कश्मीरी लोग अमृतसर आते हैं जो शाल व्यापारियों से खरीदारी करते हैं। इसके बाद वह लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर शाल की डोर टू डोर बिक्री भी करते हैं। मगर इस बार कश्मीरी लोग भी नहीं आए। इसका पहला कारण कोविड और दूसरा ट्रेनों का नहीं चलना था। इसके अलावा कश्मीर में ग्राम पंचायत के चुनाव भी रहे।


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