अगर आपको तंबाकू की लत है और इसे छोड़ना चाहते हैं तो अपनाएं यह तरीका
तंबाकू से छुटकारा दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मुहिम शुरू की है। एेसे लोगों को निकोटिन च्युंगम खिलाया जा रहा है।
अमृतसर [नितिन धीमान]। तंबाकू सेवन करने वाले लोग प्रतिदिन प्रण करते हैं कि इस लत को त्याग देंगे। कसमें खाते हैं, वादे करते हैं, पर अफसोस! कमबख्त तंबाकू उन्हें ऐसा करने नहीं देता। दृढ़ संकल्प लेने वाले लोग छटपटाने लगते हैं और अगले ही दिन तंबाकू की पत्तियां अथवा तंबाकू पेच होंठों में दबाकर अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं।
असल में यह ऐसी लत है जो इंसान को हमेशा ही ‘गुलाम’ बनाए रखती है। इस गुलामी से छुटकारा दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अमृतसर के सिविल अस्पताल में सकारात्मक पहल की है। तंबाकू रूपी जहर निगल रहे लोगों को स्वास्थ्य विभाग ने निकोटिन च्युंगम खिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। च्युंगम के साथ ही लोगों के शरीर में निकोटिन पैच भी लगाए जा रहे हैं।
च्युंगम व पैच शरीर में निकोटिन की निर्धारित मात्रा पहुंचाते हैं, जिससे तंबाकू सेवन करने वालों की तलब भी शांत होती है और वे धीरे-धीरे इस जहर से दूर हो जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने अमृतसर के सिविल अस्पताल में टैबेको कंट्रोल प्रोगाम के अंतर्गत ‘तंबाकू सेक्सेशन सेल’ (टीसीपी) स्थापित किया है। डेंटल विंग में स्थापित इस सेल में मनोचिकित्सक, मेडिसिन डॉक्टर, डेंटल डॉक्टर, काउंसलर व स्टाफ नर्स तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की काउंसलिंग व ट्रीटमेंट कर रहे हैं।
तलब के आगे बेबस हो चुके लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के विषय में बताया जाता है। काउंसलिंग के बाद ट्रीटमेंट के पहले चरण में च्युंगम का कोर्स शुरू किया जा रहा है। कुछ दिन बाद निकोटिन पैच लगाए जाते हैं।
एेसे छूटेगी लत
निकोटिन पैच को दिन में एक बार और रोजाना एक ही समय पर डायरेक्ट स्किन पर लगाया जाता है। इसे सूखे, साफ और जहां बाल न हों उस हिस्से पर लगाया जाता है। यह धीरे-धीरे स्किन में निकोटिन रिलीज करता है। निकोटिन त्वचा की परतों के माध्यम से अपना रास्ता बनाने में तीन घंटे का समय लेता है और खून में प्रवेश करता है। खून में लगातार निकोटिन पहुंचने पर तंबाकू सेवन की लालसा तृप्त हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस उपाय से छह से आठ माह में तंबाकू से मुक्ति मिल जाएगी। भारत में प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन से होती है।
स्पेरोमीटर से तंबाकू का सच आएगा सामने
तंबाकू खाकर फेफड़े खराब कर चुके लोगों की जांच के लिए सिविल अस्पताल में स्पेरोमीटर भी उपलब्ध होगा। जल्द ही यह उपकरण अस्पताल में पहुंच जाएगा। इससे फेफड़ों की वास्तविक स्थिति का मालूम हो सकेगी। इसके अलावा जो लोग निकोटिन पैच अथवा च्युंगम ट्रीटमेंट ले रहे हैं, वे यदि तंबाकू सेवन करते हैं तो स्पेरोमीटर से इसकी जानकारी भी मिल जाएगी।
एनसीडी-टीसीपी हुआ शुरू
तंबाकू सेवन से नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) होने का खतरा हमेशा बना रहता है। शूगर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर आदि बीमारियां तंबाकू से हो सकती हैं, इसलिए इन्हें नॉन कम्युनिकेबल डिजीज कहा जाता है। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए टैबेको कंट्रोल प्रोग्राम (टीसीपी) लागू किया जा रहा है। नोडल अफसर डॉ. राजिंदर अरोड़ा कहते हैं कि तंबाकू छोड़ने की चाह रखने वालों को च्युंगम व निकोटिन पैच निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यह सेल डेंटल ¨वग में मनोचिकित्सक डॉ. ईशा धवन व डेंटल डॉक्टर की निगरानी में काम करेगा।