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पत्रकार केएल कमलेश की अस्थियां ले गया कोई और

अमृतसर एक लापरवाही का खमियाजा वरिष्ठ पत्रकार रहे केएल कमलेश के परिवार को उठाना पड़ा। जोकि अपने पिता कमलेश कुमार की अस्थियां गंगा में धार्मिक परंपरा के साथ प्रवाहित करने से वंचित रह गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 01:04 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 01:04 AM (IST)
पत्रकार केएल कमलेश की अस्थियां ले गया कोई और

संवाद सहयोगी, अमृतसर

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एक लापरवाही का खमियाजा वरिष्ठ पत्रकार रहे केएल कमलेश के परिवार को उठाना पड़ा। जोकि अपने पिता कमलेश कुमार की अस्थियां गंगा में धार्मिक परंपरा के साथ प्रवाहित करने से वंचित रह गए। उनको इस बात का दुख है कि उनके पिता ने हमेशा अपना जीवन धर्म के प्रचार के लिए व्यतीत किया पर अंत में उनकी अस्थियां गुरुद्वारा शहीदां के नजदीक बने श्मशान घाट के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण किसी अन्य परिवार ने प्रवाह कर दी। मृतक के पुत्र जगदीश कुमार व सूरज कुमार ने बताया कि वह शनिवार को अपने पिता की अस्थियां लेने के लिए श्मशान घाट गए थे। उनके पास अस्थियों की पर्ची जिसमें अस्थियों को रखने वाली जगह का नंबर 41 लिखा हुआ था। जब वह अस्थियां वाले कमरे में जाकर 41 नंबर से अस्थियां लेने लगे तो वहां पर लाल रंग के कपड़े में अस्थियां पड़ी थी। जबकि उनकी अस्थियां सफेद कपड़े में रखी गई थी। शक होने पर जब जांच की गई तो यह बात सामने आई कि दो पर्चियों में अस्थियां रखने वाली जगह का नंबर 41 लिखा हुआ था। नौ जनवरी को कैलाश कौर निवासी ईस्ट मोहन नगर सुल्तान¨वड रोड की पर्ची नंबर 1655 में अस्थियां रखने की जगह का नंबर 41 लिखा हुआ था। जिस बारे यह पता चला है कि 41 नंबर वाली अस्थियां 48 में रखी गई थी परंतु रसीद में 41 नंबर लिखा गया था। उसके बाद 41 नंबर की जगह खाली होने पर कर्मचारियों द्वारा 1691 की रसीद के जरिए मृतक कमलेश निवासी गली नंबर 2 मोहन नगर सुल्तान¨वड की अस्थियां रखवा दी गई। 18 जनवरी को मृतक कैलाश कौर के परिवारिक सदस्य आए तथा उन्होने अपनी पर्ची में लिखे 41 नंबर की अस्थियां कैलाश कौर की समझकर ले गए। जबकि वास्तव में कैलाश कौर की अस्थियां 48 में पड़ी हुई थी। 41 वाली जगह में कमलेश की अस्थियां पड़ी थी। 41 नंबर जगह खाली होने के बाद पुन: 19 जनवरी को रसीद नंबर 1731 में मृतक लाजवंती निवासी विक्रम गेट भगतांवाला की अस्थियां रख दी गई। जब 19 जनवरी को मृतक केएल कमलेश के पुत्र सूरज व जगदीश 41 नंबर में अपने पिता की अस्थियां लेने आए तो अस्थियां नहीं थी। क्या कहते है श्मशान घाट के कर्मचारी

श्मशान घाट में बैठे कर्मचारियों ने कहा कि जिस परिवार ने 48 नंबर में अस्थियां रखी थी। उस परिवार ने 41 नंबर की पर्ची बना ली थी जिस कारण यह घटना घटित हुई है। श्मशान सेवा समिति के प्रबंधक कृष्ण गोपाल ने कहा कि उनके पास अभी रजिस्टर नहीं है। रजिस्टर आने के बाद जांच की जाएगी।


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