सुखबीर बोले- गले मिलने के विवाद से बचने के लिए सिद्धू ने छोड़ा करतारपुर मार्ग का शिगूफा
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पाक सेना प्रमुख से गले मिलने के विवाद से बचने के लिए करतारपुर मार्ग खोलने वाला शिगूफा छोड़ा है।
जेएनएन, अमृतसर। अकाली दल के अध्यक्ष व राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पाक सेना प्रमुख से गले मिलने के विवाद से बचने के लिए करतारपुर मार्ग खोलने वाला शिगूफा छोड़ा है। वह विवादों से बचने के लिए इस तरह की बातें करते रहते हैं।
सुखबीर अपनी पत्नी व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के लिए पहुंचे थे। हर माह बादल परिवार की ओर से हरिमंदिर साहिब में रखवाए गए पाठ के भोग डाले जाते हैं, जिनमें वह हिस्सा लेने के लिए आते हैं।
सुखबीर ने कहा कि करतारपुर मार्ग खोलने के लिए उनकी सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कई बार पाक के साथ बातचीत की कोशिशें की गई थीं, परंतु पाक सरकार ने कभी भी इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि सिद्धू के पास कोई भी ऐसा संवैधानिक अधिकार नहीं है कि वह करतारपुर मार्ग संबंधी पाकिस्तान सरकार के साथ किसी तरह की बातचीत कर सकें। न ही किसी सरकार ने सिद्धू को इस काम के लिए दूत बनाकर भेजा था। सीमा पर रास्ता खोले जाने के मामले केंद्रीय सरकारों और विदेश मंत्रालयों से संबंधित होते हैं। उन्होंने कहा कि हम सिद्धू को एक माह का समय देते हैं कि वह पाक सरकार के साथ बातचीत करके भारत में आतंकवादी भेजने की प्रक्रिया को बंद करवाएं और शांति स्थापित करवाएं।
जस्टिस रंजीत सिंह पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की मांग
सुखबीर ने जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के संबंध में कहा कि इस पर अकाली दल विश्वास ही नहीं करता। यह रिपोर्ट एक कांग्रेसी नेता की ओर से घर में तैयार करवाई गई है, जिस पर रंजीत सिंह ने सिर्फ हस्ताक्षर ही किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस हिसाब से जस्टिस रंजीत सिंह जांच कर रहे हैं, उस हिसाब से लगता है कि उनकी कानून की डिग्री फर्जी है। उनकी डिग्री की जांच करवाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जस्टिस रंजीत सिंह ने जो प्रक्रिया जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए अपनाई है, उस हिसाब से उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज होना चाहिए। नहीं तो जब अकाली दल की सरकार आएगी तो रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कुछ कांग्रेसी नेताओं व आम आदमी पार्टी के सुखपाल सिंह खैहरा आदि की मिलीभगत है, जिसको पार्टी जल्दी ही सार्वजनिक करेगी। उन्होंने कहा कि जब उनकी सरकार थी कि उन्होंने सबसे पहले बरगाड़ी कांड की जांच के लिए एसआइटी बनाई थी और सिख नेताओं के कहने पर ही जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। हिम्मत सिंह को कांग्रेसी नेता रंधावा के घर बुला कर बयानों पर हस्ताक्षर करवाए गए थे।
एक सवाल के जवाब में सुखबीर ने कहा कि बरगाड़ी में मोर्चा लगा कर बैठे लोग आइएसआइ के एजेंट हैं, जिन को कांग्रेस पार्टी की शह है। यह लोग पंजाब के हालात खुद खराब करवा कर इसको अकाली दल के माथे मढऩा चाहते हैं। बरगाड़ी में बैठे लोग मोर्चे के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं, जिनको आइएसआइ फंडिंग कर रही है।