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हैदराबाद के विशेषज्ञ छात्रों को बताएंगे कैसे संभाले पोथियों को

अमृतसर : खालसा कॉलेज के सिख हिस्ट्री सेंटर में पुरातन खरड़ों, पोथियों आदि के रख-रखाव की जानकारी देने के लिए वर्कशाप लगाई गई। हैदराबाद स्थित सिख हेरीटेज फाउंडेशन दक्षिण के सहयोग से आयोजित यह वर्कशाप एक माह तक चलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 07:24 PM (IST)
हैदराबाद के विशेषज्ञ छात्रों को बताएंगे कैसे संभाले पोथियों को

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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खालसा कॉलेज के सिख हिस्ट्री सेंटर में पुरातन खरड़ों, पोथियों आदि के रख-रखाव की जानकारी देने के लिए वर्कशाप लगाई गई। हैदराबाद स्थित सिख हेरीटेज फाउंडेशन दक्षिण के सहयोग से आयोजित यह वर्कशाप एक माह तक चलेगा।

सतर जंग म्यूजियम हैदराबाद के पूर्व क्यूरेटर मोहम्मद अली व फाउंडेशन के कनवीनर सज्जन ¨सह अपनी छह सदस्यीय टीम के साथ पुरातन खरड़ों और पोथियों की वैज्ञानिक ढंग से संभाल में जुटे हुए हैं। केसीजीसी के आनरेरी सचिव रा¨जदर मोहन ¨सह छीना और कौंसिल के संयुक्त सचिव गुनबीर ¨सह ने ¨प्रसिपल डॉ. महल ¨सह व विभाग मुखी डॉ. कुलदीप ¨सह की देखरेख में चल रहे कार्यो की जानकारी हासिल की। मोहम्मद अली ने बताया कि वर्कशाप का मकसद पुरातन ग्रंथों, खरड़ों, पोथियां, कुरान, वस्त्रों, भागवत गीता, गुरु साहिबान, देवी देवताओं की खड़ाऊ आदि को संभाल कर रखना है, कि ताकि सदियों तक उनकी अवधि बढ़ सके। उन्होंने छीना व गुनबीर ¨सह का आभार करते हुए कहा कि वह खुद के अलावा सना अहमद, अली उस्मान, अब्दुल अजीम व गुलअफसां खान के साथ यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि वर्कशाप में खरड़ों की संभाल व रख-रखाव संबंधी कॉलेज के विद्यार्थियों व अन्य को प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी सुनहरे इतिहास को सदियों तक संभाल सके। सज्जन ¨सह ने बताया कि पुरातन खरड़ों की संभाल के लिए कई प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है, ताकि पुराने कागज सैकड़ों साल तक सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि सिख सेंटर व लाइब्रेरी के विद्यार्थियों को इस संबंधी फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। सज्जन ¨सह ने कहा कि उनकी तरफ से ब¨ठडा निवासी भाई बूटा ¨सह द्वारा साहिब श्री गुरु गो¨बद ¨सह जी के माछीवाड़ा के जंगलों के समय पहने वस्त्र जैसे कि दस्तार, पोशाक, खड़ाऊ, कच्छहरा के अलावा कई धार्मिक ग्रंथ, वस्त्र, गुटकों की ड्राई ब्रा¨शग के साथ संवारा जा चुका है, ताकि उनकी अवधि बनी रहे।

सिख लाइब्रेरी में हैं कुल 7274 किताबें

छीना ने कहा कि सिख लाइब्रेरी में बहुमूल्य खजाना मौजूद है। उन्होंने युवा पीढ़ी को ऐतिहासिक चिन्हों की संभाल पर जोर देते हुए कहा कि ऐतिहासिक पोथियां, ग्रंथ, गुटके, कुरान, भगवती गीता व अन्य धार्मिक वस्तुएं चिन्ह हमारा अनमोल खजाना है। उसका रख-रखाव करना हमारा फर्ज बनता है। उन्होंने कहा कि कॉलेज के सिख सेंटर में करीब 86 साल पुराने सिख खोज लाइब्रेरी व म्यूजियम जिसमें पुरातन सैकड़ों अमूल्य दस्तावेज, किताबें व सिख गुरु साहिबान के हस्त लिखित खरड़े संभाले हुए हैं और उन्हें अब डिजीटल तरीके से संभाला जा रहा है। उसमें 7274 किताबें हैं, जिनमें 16वीं व 17वीं शताब्दी की 442 से अधिक किताबें अंग्रेजी, पारसी, संस्कृत व उर्दू में हैं। गुनबीर ¨सह ने कहा कि कैंपस में निर्माणाधीन सिख हिस्ट्री सेंटर व म्यूजियम इमारत में पंजाब के इतिहास के साथ संबंधित कई अमूल्य खजाना संभाला हुआ है। समूचे इतिहास के लिए नए तकनीक की मदद भी ली जा रही है। ¨प्र. डॉ. महल ¨सह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कुछ दस्तावेज दुनिया में कहीं भी मौजूद नहीं है। उनमें शाहनामा मोहम्मद जमाल द्वारा लिखित हैं, जिसकी सिर्फ दो ही और कापियां मौजूद हैं, जिनमें एक लंदन म्यूजियम व दूसरी लाहौर म्यूजियम में है। श्री गुरु साहिब जी की दो हस्त लिखित बीड़ सिर्फ यहां मौजूद है। इस मौके पर कुलदीप ¨सह, अंडर सचिव डीएस रटौल आदि मौजूद थे।


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