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रेल हादसे के पीड़ितों को नौकरी देने से भाग रही सरकार: मन्ना

अमृतसर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव व प्रवक्ता मनदीप ¨सह मन्ना ने कहा कि पंजाब सरकार के दावों के बावजूद जौड़ा फाटक रेल हादसे के दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई न होना साबित करता है कि सरकार दोषियों को बचाना चाहती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 12:29 AM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 12:29 AM (IST)
रेल हादसे के पीड़ितों को नौकरी देने से भाग रही सरकार: मन्ना
रेल हादसे के पीड़ितों को नौकरी देने से भाग रही सरकार: मन्ना

फोटो—— 29

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क्रासर——

— कैबिनेट मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू के इशारे पर हादसे के लिए जिम्मेदार किसी भी आरोपित के खिलाफ नहीं हो रही कानूनी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, अमृतसर

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव व प्रवक्ता मनदीप ¨सह मन्ना ने कहा कि पंजाब सरकार के दावों के बावजूद जौड़ा फाटक रेल हादसे के दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई न होना साबित करता है कि सरकार दोषियों को बचाना चाहती है। यह सब कुछ कैबिनेट मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू के इशारों पर हो रहा है। पीडि़तों को चुप करवाने के लिए समय समय पर थोडे़-थोड़े पैसे दिए जा रहे हैं। परंतु अभी तक किसी भी पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं मिली है। अब तो लोगों ने सरकार से मिलने वाले पैसों को भी लेने से इनकार कर दिया है।

मन्ना ने कहा कि देश में इतना बड़ा रेल हादसा हो गया। कई परिवार उजड़ गए। सरकार सवा तीन माह बीत जाने के बावजूद हादसे के लिए किसी की जिम्मेवारी तय नहीं कर पाई है। जालंधर डिवीजन के कमिश्नर की जांच रिपोर्ट भी न तो सार्वजनिक की गई न ही इस रिपोर्ट में पाए गए किसी आरोपित के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई हुई। जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने खुद एलान किया था कि रेल हादसे के लिए जिम्मेवार व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

मन्ना ने कहा कि कैबिनेट मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू ने भी एलान किया था कि वह पीड़ित परिवारों के बच्चों को गोद लेते हैं। प्रत्येक पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नगर निगम में सरकारी नौकरी दी जाएगी। पीड़ित परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च व खुद वाहन करेंगे। हर माह करीब छह पीड़ित परिवारों के घर राशन पहुंचाया जाता रहेगा। परंतु इन में एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अब सिद्धू और उनके साथी कहने लगे हैं कि हादसे के लिए लोग खुद ही दोषी हैं। अगर आम लोग की आरोपित हैं तो फिर सरकार आरोपियों को पैसे देकर उनका मुंह क्यों बंद कर रही है। लोग सरकारी नौकरी चाहते हैं अगर सरकार ने पीड़ितों के परिवारिक सदस्यों को नौकरी न दी तो वह पीडि़तों के साथ संघर्ष के मैदान में उतर आएंगे।


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