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शिवैसैनिकों ने आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के खिलाफ की भूख हड़ताल

पंजाब सरकार द्वारा बंद की गई आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के चले रहे धंधे को बंद करवाने की मांग को लेकर शिवसेना पंजाब के उत्तर भारत प्रमुख विपन नैयर ने अपने साथियों सहित भंडारी पुल पर भूख हड़ताल की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 03:00 AM (IST)
शिवैसैनिकों ने आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के खिलाफ की भूख हड़ताल
शिवैसैनिकों ने आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के खिलाफ की भूख हड़ताल

संवाद सहयोगी, अमृतसर : पंजाब सरकार द्वारा बंद की गई आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के चले रहे धंधे को बंद करवाने की मांग को लेकर शिवसेना पंजाब के उत्तर भारत प्रमुख विपन नैयर ने अपने साथियों सहित भंडारी पुल पर भूख हड़ताल की। इस दौरान भूख हड़ताल का समर्थन करते हुए शिवसेना शेरे हिद के राष्ट्रीय महासचिव विवेक अरोड़ा, पंजाब प्रधान कौशल शर्मा, पंजाब चेयरमैन अमित चड्डा, जतिदर शर्मा, शिवसेना हिदुस्तान के पंजाब उप प्रधान पवन वर्मा, जिला प्रधान रमेश बब्बा, अनिल लाल, युवराज पहलवान, हिदु संघर्ष सेना के राष्ट्रीय प्रधान अरुण कुमार पोपा, अशोक जोशी, शिवसेना पंजाब के चरनजीत शर्मा, शिवसेना पंजाब आल इंडिया हिदू ऐकता मंच के राष्ट्रीय प्रधान विक्रम गंडोत्रा, शिवसेना हिद के राष्ट्रीय उप प्रधान रमन पंडित विशेष रुप से उपस्थित हुए। इस मौके पर शिवसैनिकों द्वारा श्री राम नाम का जाप किया गया। शिवसैनिकों ने कहा कि जब तक आनलाइन लाटरी व दड़े सट्टे के कारोबार पूरी तरह से बंद नहीं किया जाता, तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी। इस अवसर पर जतिदर शर्मा, आशू पंडित, राकेश कुमार, बहादुर सिंह, अजय पंडित, महेश कुमार, विशाल गोगना, रिकी पंडित, रघु पंडित, अशोक जोशी, दीपक शर्मा, पंकज नायक, साजन, बोबी आदि मौजूद थे। कृषि कानूनों के खिलाफ वामपंथियों ने फूंक केंद्र सरकार का पुतला

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क्रांतिकारी मा‌र्क्सवादी पार्टी की ओर से केंद्र सरकार की ओर से लागू किए जा रहे कृषि कानूनों के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी वामंथियों की ओर से गिलवाली गेट के बाहर केंद्र सरकार का पुतला फूंक कर नारेबाजी की। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं विजय मिश्रा, जगतार सिंह कर्मपुरा और सुरिदर कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कारपोरेट घरानों के समक्ष पूरी तरह घुटने टेक चुकी है। कारपोरेटरों को ही खुश करने के लिए कृषि कानूनों को किसानों के विरोध के बावजूद लागू किया जा रहा है।


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