गीता सार मनुष्य के जीवन का आधार : ऊषा बहन
गीता माता है जिसने हर धर्म रूपी बच्चे को अमृत पिलाया है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : गीता माता है जिसने हर धर्म रूपी बच्चे को अमृत पिलाया है। कर्म में करुणाभाव को लाना, श्रेष्ठ कर्म करना यही गीता ज्ञान का सार है। यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू राजस्थान में वरिष्ठ राजयोग प्रवक्ता राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी ऊषा बहन ने फोरएस माडर्न हाई स्कूल के ऑडिटोरियम में विशाल जन समूह को संबोधित करते हुऐ व्यक्त किए। यहां स्थानीय संस्थान की ओर से 'गीता सार-जीवन का आधार' नामक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।
ऊषा बहन जी ने कहा कि श्रीमछ्वागवत गीता मनुष्य मात्र की मां है। जैसे मां अपने हर बच्चे की रक्षा करती इसी प्रकार श्रीमछ्वागवत गीता का ज्ञान मनुष्य मात्र को संसारिक परिस्थितियों से, अपने संस्कारों, अपनी पुरानी आदतों पर कैस विजय प्राप्त करनी है सिखाता है। हर धर्म के शास्त्र का किसी न किसी रूप से गीता का जुड़ाव है। भागवद् गीता में छह चैप्टर ज्ञान योग, छह चैप्टर कर्म योग तथा छह चैप्टर भक्ति योग के हैं। हर धर्म पिता ने इन्हीं किसी एक चैप्टर से अपने अनुसार मानव कल्याण के लिए उठा लिया है।
इस अवसर पर मेयर करमजीत सिंह रिटू, डॉ. जसजीत, डॉ. रीणा ओहरी, डॉ. ओंकार सिंह, किरण जेतली, डॉ. शारदा अदलखा, राजेन्द्र मोहन सिंह छीना, पूर्व मेयर बख्शी राम अरोड़ा ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया।