मुर्दाघर में शवों की हालत देखकर पिघल गए कानून के रक्षक
नितिन धीमान, अमृतसर पुलिस के विषय में जितने मुंह उतनी बातें हैं। ज्यादातर लोग पुलिस से दूर र
नितिन धीमान, अमृतसर
पुलिस के विषय में जितने मुंह उतनी बातें हैं। ज्यादातर लोग पुलिस से दूर रहना ही मुनासिब समझते हैं। इस खाकी के पीछे भी एक इंसान है जिसके हृदय में संवेदनाओं का वास है। जो पुलिस अपराधियों को पकड़ते समय डरती नहीं, पिस्तौल चलाते वक्त हाथ नहीं कांपते, वह सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित मुर्दाघर में शवों की दुर्दशा देखकर पिघल गई है।
दरअसल, मुर्दाघर में शवों के साथ हो रहे सरकारी अत्याचार के खिलाफ पुलिस ने आवाज उठाई है। गुरुनानक देव अस्पताल में स्थित पुलिस चौकी की पुलिस ने इसी अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट को पत्र लिखकर मुर्दाघर की दशा सुधारने की मांग की है। पुलिस ने तर्क दिया है कि मुर्दाघर में कू¨लग का प्रबंध न होने की वजह से शव गल रहे हैं। मुर्दाघर की दीवारों में मोटे-मोटे सुराख हैं, जिनके जरिए चूहे अंदर घुस जाते हैं और शवों को नुकसान पहुंचाते हैं।
पुलिस चौकी के इंचार्ज बलराज ¨सह ने कहा कि मुर्दाघर में प्रतिदिन तीन से चार शव लाए जाते हैं। यहां लगा एसी प्लांट वर्षों से खराब है। ऐसे हालात में शवों को सुरक्षित रखना टेढ़ी खीर है। यदि मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग प्लांट ठीक नहीं करवा सकता, तो कम से कम मुर्दाघर में कैंडी लगा दी जाएं, ताकि भीषण गर्मी में शवों को इसमें रखकर सुरक्षित किया जा सके।
72 घंटे तक शवों को नोचते हैं चूहे व कीड़े
मुर्दाघर में उन शवों को रखा जाता है, जिनकी गुरुनानक दे अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई हो। सड़क हादसे में मौत का ग्रास बने लोगों के शव भी यहीं रखे जाते हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे शव जिनकी कोई पहचान नहीं मसलन, वे अज्ञात लोग जिनकी मौत के बाद उनके शव लावारिस अवस्था में मिले। पुलिस उन्हें 72 घंटे तक यहां रखती है, ताकि इस अवधि में उनके परिजनों को ढूंढा जा सके। कई बार परिजनों ने शहर के पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई होती है। यदि परिजनों के विषय में जानकारी मिल जाए तो पुलिस शव उन्हें सौंप देती है, अन्यथा 72 घंटे तक मुर्दाघर में रखने के बाद अंतिम संस्कार करवाया जाता है। मुर्दाघर में शव के साथ जो सरकारी अत्याचार होता है वह अब सार्वजनिक हो रहा है।
बिजली का प्रबंध नहीं
पुलिस ने कहा है कि मुर्दाघर में बिजली का प्रबंध नहीं। रात के वक्त मोबाइल की रोशनी से मुर्दाघर के भीतर शव रखे जाते हैं। वैसे भी अंधेरा होने की वजह से चूहे व कीड़े बड़ी आसानी से शवों को अपना शिकार बनाते हैं। इसलिए अस्पताल प्रशासन यहां बिजली का बंदोबस्त करें।
पुलिस ही करती है बर्फ का इंतजाम
पिछले पांच वर्षों से एयरकंडीशनर प्लांट खराब होने की वजह से शवों को सुरक्षित रखने में भारी मुश्किल आ रही है। सर्दी में तो जैसे-तैसे काम चला लिया जाता है, पर गर्मी में पुलिस को ही शवों के लिए बर्फ का इंतजाम करना पड़ता है। आरटीआइ कार्यकर्ता रा¨जदर शर्मा राजू का कहना है कि कई बार उन्होंने शवों के लिए बर्फ का इंतजाम किया है। दूसरी तरफ गुरुनानक देव अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल ने कहा कि उन्होंने एसी प्लांट के संदर्भ में विभाग को सूचित कर दिया है। विभाग की ओर से यहां कोल्ड चैंबर लगाए जाने की योजना है।