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छह दिन तक मरीजों को तड़पाकर रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल

अमृतसर गुरुनानक देव अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने छह दिन बाद हड़ताल समाप्त कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 12:14 AM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 12:14 AM (IST)
छह दिन तक मरीजों को तड़पाकर  रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल
छह दिन तक मरीजों को तड़पाकर रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल

— स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी पुनीत गिरिधर ने रेजिडेंट्स डॉक्टर से बैठक कर मांगें स्वीकार करने का दिया आश्वासन

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— जूनियर रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, मेडिकल कॉलेज की ¨प्रसिपल व मेडिकल सुप¨रटेंडेंट पर आधारित कमेटी का गठन फोटो— 37 से 41

नितिन धीमान, अमृतसर

गुरुनानक देव अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने छह दिन बाद हड़ताल समाप्त कर दी है। मरीजों को परेशान करने वाले इन डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री के 'दूत' की बात मानी और काम पर लौट आए। शनिवार को गुरुनानक देव अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मो¨हदरा के ओएसडी पुनीत गिरिधर ने हड़ताली डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को मेडिकल सुप¨रटेंडेंट के कक्ष में बुलाया। यहां तकरीबन पौना घंटा तक चली बैठक में पुनीत गिरिधर ने कहा कि किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को यूं ही पद से नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए बाकायदा जांच कमेटी बनती है। आप सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, वह आपको मिलेगी। अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए जाएंगे। सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे।

पुनीत गिरिधर ने रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की मांगों को कागज पर लिखा और सोमवार तक इन्हें पूरा करने का भरोसा दिया। इस दौरान जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान जस¨मदर प्रताप ¨सह व अन्य प्रतिनिधियों ने एमएस के इस्तीफे की मांग भी की, पर ओएसडी ने कहा कि अभी इस मामले की जांच होगी, इसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में भविष्य में जो भी कठिनाइयां आती हैं, उनके समाधान के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में जूनियर रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, मेडिकल कॉलेज की ¨प्रसिपल व मेडिकल सुप¨रटेंडेंट को शामिल किया गया है। यह कमेटी हर पंद्रह दिन बाद एक बैठक करेगी। इस दौरान जो कमियां व शिकायतें होंगी, उस पर विचार करने के बाद समाधान ढूंढा जाएगा। ओएसडी के आश्वासन के बाद रेजिडेंट्स डॉक्टर्स काम पर लौट आए। इन डॉक्टरों ने इमरजेंसी वार्ड, गायनी वार्ड, सर्जिकल, मेडिसिन सहित सभी वार्डों में काम संभाल लिया। इसके साथ ही अब गुरुनानक देव अस्पताल में मरीजों का इलाज शुरू हो गया है। नए मरीजों को भी एडमिट किया जा रहा है।

वास्तव में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की हठधर्मिता एवं उद्दंडता का दुष्प्रभाव मरीजों पर भारी पड़ने लगा था। एक नवजात शिशु ही मौत हुई और दर्जनों मरीज तड़प रहे थे। पूरा अस्पताल मुट्ठी भर सीनियर्स डॉक्टर्स के हवाले था। हड़ताल की वजह से सिविल अस्पताल में भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही थीं, क्योंकि जीएनडीएच से सभी मरीजों को सिविल अस्पताल भेजा जा रहा है और वहां सीमित साधन होने की वजह से मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा। एमएस के कार्यालय में थी बैठक, एमएस को नहीं बुलाया

जेआर व ओएसडी की बैठक एमएस कार्यालय में हुई थी, लेकिन एमएस डॉ. सु¨रदर पाल को इस बैठक का हिस्सा नहीं बनाया गया। शायद इसलिए क्योंकि एमएस के सामने आने से जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टर अपना हठ नहीं छोड़ते। डॉ. सु¨रदर पाल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मैंने इन्हें अपने बच्चों की तरह समझा है। 3 फरवरी को जिस महिला डॉक्टर्स से छेड़छाड़ हुई, उसने मुझे इस विषय में बताया था। मैंने उसे समझाने के लहजे से कहा था- बेटा अपना ख्याल रखो, क्योंकि सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेवार होती है। हम रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर जाते हैं वहां भी तो अपने सामान का खुद ही ख्याल रखते हैं। इस बात का डॉक्टर्स ने गलत तात्पर्य निकाला। एक अभिभावक के रूप में मैंने यह बात कही थी।

एमएस को कुर्सी पर बने रहने का अधिकार नहीं : डॉ नवजोत कौर

पूर्व विधायक डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा कि हड़ताली डॉक्टर्स मुझसे आज मिले थे। महिला डॉक्टर से यह कहने वाले एमएस को कुर्सी पर बने रहने का अधिकार नही कि सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेवार है। वह स्वास्थ्य मंत्री से गुजारिश करेंगी कि डॉक्टर्स की सुरक्षा सुरक्षित की जाए। मैं खुद डॉक्टर हूं, इसलिए वह जानती हैं कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर किन हालातों से गुजरते हैं। सुबह मोबाइल पर मशगूल थे हड़ताली जेआर

इससे पूर्व शनिवार सुबह हड़ताली जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टर भी तकरीबन शांत हो चुके थे। उनके नारों के स्वर मद्धम हो गए थे। हड़ताल के दौरान जूनियर डॉक्टर्स अलग-थलग हो गए। कुछ धूप का आनंद उठाते रहे तो कुछ ने पूरा दिन मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहे। आज बाद दोपहर दर्जन मरीज अस्पताल में आए, जो तड़प रहे थे पर मोबाइल में मशगूल डॉक्टर्स ने उनकी करुणामयी पुकार नहीं सुनी। कम होती गई ओपीडी व आइपीडी में पेशेंट की संख्या

दिनांक ओपीडी आइपीडी

4 फरवरी 532 150

5 फरवरी 455 102

6 फरवरी 309 89

7 फरवरी 187 70

8 फरवरी 96 35

9 फरवरी 34 18


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