ऑटो वर्कशाप तेल घोटाला : डायरेक्टर की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में
नगर निगम की ऑटो वर्कशॉप हमेशा ही अपने अनियमितताओं के लिए सुर्खियों में रही है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : नगर निगम की ऑटो वर्कशॉप हमेशा ही अपने अनियमितताओं के लिए सुर्खियों में रही है। पंजाब एकता पार्टी व आरटीआइ एक्टीविस्ट सुरेश शर्मा ने ऑटो वर्कशॉप में हुई चेकिग की जांच रिपोर्ट आरटीआई के जरिए प्राप्त की, जिसमें खुद ही घालमेल को पोल खुल गई। डायरेक्टर ने दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा था, पर आज तक इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं हुई। जांच रिपोर्ट में 12 गाड़ियों के लगभग दो महीने के डाटा को बेस बनाया गया है, जिसमें 8,82,398 रुपये का घोलमेल सामने आया है। शर्मा ने आरोप लगाया कि 12 गाड़ियों का अगर यह हाल है तो निगम के अधिकारी-कर्मचारी 146 गाड़ियों चला रहे हैं। इसमें औसत अगर दो माह में पचास हजार रुपये का भी तेल अधिक दिखाया जाए तो यह साढ़े चार करोड़ का सालाना आकड़ा पार कर जाता है।
शर्मा ने कहा कि निगम की ऑटो वर्कशॉप के पेट्रोल पंप पर सरकारी पैसे का बड़े स्तर पर नुकसान किया जा रहा है। निकाय विभाग के डायरेक्टर द्वारा इस बाबत भेजी गई रिपोर्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पूरे मामले की जांच कर तीन दिनों में रिपोर्ट देने को कहा गया था, पर सात माह बीत जाने के बाद भी अभी तक इस पर जांच रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है। इस बाबत गठित कमेटी के जांच अधिकारी तत्कालीन एक्सीयन विजय कुमार ने ज्वाइंट कमिश्नर को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि जांच में उन्हें कोई अधिकारी स्पोट नहीं कर रहा, इसलिए अगर वह मुनासिब समझे तो सभी को पत्र जारी कर दे। शर्मा ने कहा कि सरकारी गाड़ियों की एवरेज कम दिखाकर रोजाना खपत से अधिक डीजल डलवाया जाता है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। छुट्टी वाले दिन शनिवार रविवार लोकल छुटटी व त्यौहारी छुट्टियों के दौरान भी गाड़ियां चलती दिखाई जा रही है।
शहर में ही दो-दो सौ किलोमीटर चलीं गाड़ियां
शर्मा ने बताया कि टाटा 709 गाड़ियां लोकल ड्यूटी के लिए रोजाना 28-28 लीटर तेल डलवा रही है जिनकी एवरेज 6 से 8 किलोमीटर दिखाई जा रही है। रोज यह गाड़ियां 200-200 किलोमीटर चलती दिखाई गई हैं। ऐसे ही जेसीबी मशीनें रोजाना पांच से छह घंटे चलती दिखाई गई हैं, जबकि किसी ने अपने काम के लिए जेसीबी मशीन एक घंटा के लिए भी बुलानी हो तो उसको कई-कई सिफारिशों के बावजूद निगम के चक्कर मारने पड़ते हैं। जेसीबी मशीन में रोजाना 25 से 40 लीटर तेल खपत दिखाया जा रहा है। ट्रैक्टर भी जेसीबी मशीन की तरह ही 12 से 20 घंटे चलते दिखाए गए हैं, जबकि निगम की सरकारी ड्यूटी अधिक से अधिक आठ से दस घंटे होती है। ट्रैक्टर में भी रोजाना 16 से 32 लीटर तेल डाला जा रहा है।
बिजली होने पर भी डिस्पोजल प्लांट पर 1900 लीटर तेल खपाया
रामतीर्थ रोड पर लगे डिस्पोजल प्वाइंट पर बिजली की सुविधा होने के बावजूद 40 दिन में 1900 लीटर डीजल की खपत दिखाई गई है। यही हाल मजीठा रोड डिस्पोजल प्लांट, हुकम सिंह रोड डिस्पोजल प्लांट, मकबूल रोड डिस्पोजल प्लांट, कोट आत्मा सिंह डिस्पोजल प्लांट व फोकल प्वाइंट डिस्पोजल प्लांट पर भी मनमर्जी से खपत दिखाई जारही है।
सीवीओ की जांच रिपोर्ट में यह मिली थी कमियां
—नगर निगम की वर्कशॉप की सीवीओ द्वारा की गई जांच में 984 लीटर डीजल कम मिला था।
—वर्कशॉप के पेट्रोल पंप पर बिना किसी अधिकारी द्वारा स्लिप व इंटेंट जारी किए ही तेल दिया जा रहा है।
—स्टॉक रजिस्टर न तो ड्राइवरों के हस्ताक्षर नहीं है और न ही सुपरवाइजर व उच्चाधिकारी के।
—ट्यूबवेल पर लगे जेनरेटरों पर चलने वाले तेल की लॉगबुक भी पूरी नहीं है।
—लॉकबुक में व्हीकल ने किया किस लिए तेल निकलवाया की जानकारी है और न ही ट्रांसपोर्ट अथारिटी का उनके पास एवरेज माइलेज सर्टिफिकेट है।
—लॉगबुक आौर स्टॉक रजिस्टरों का आडिट नहीं करवया जा रहा।
—ऑटो वर्कशॉप के इंचार्ज व निगम के आलाधिकारियों द्वारा इसकी समय—समय पर जांच नहीं की जा रही।
ज्वाइंट कमिश्नर कर रहे हैं मामले की जांच : मित्तल
पूरे मामले की जांच ज्वाइंट कमिश्नर कर रहे हैं। अनियमितताओं को देखते हुए इसका प्रभार भी बदलकर दूसरे सीनियर अधिकारी को दे दिया गया है। ऑटो वर्कशॉप में किसी भी प्रकार की तेल की चोरी बर्दाश्त नहीं होगी और जांच कर जिन अधिकारियों के समय में यह घालमेल हुआ है, उन पर एक्शन लिया जाएगा। वह खुद वर्कशॉप की चेकिग करेगी ताकि निगम को किसी भी प्रकार से कोई चूना ना लगा सके।
-कोमल मित्तल, कमिश्नर निगम।
दोषियों की सूची मांगी : सिगला
डायरेक्टर द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में दोषियों पर कार्रवाई के लिए लिखा गया था। इस बाबत तत्कालीन एक्सइन ऑटो वर्कशॉप से उस समय तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची मांगी गई है। सूची मिलने के साथ ही इसके लिए जवाबदेहों पर कार्रवाई की जाएगी।
-नितिश सिगला, ज्वाइंट कमिश्नर निगम।