नवजोत सिंह सिद्धू के आदेशों की उनके गृह जिले में ही हो रही अवहेलना
पिछले दो सप्ताहों में वैरीफिकेशन के लिए आए जाली सर्टिफिकेट पकड़ में आए हैं। लेकिन यह जानकारी नहीं है कि ऐसे कितने सर्टिफिकेट अभी भी लोगों के पास है।
अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। स्थानीय निकायमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के डेथ व बर्थ सर्टिफिकेट के धंधे पर नकेल के दावों को उनके गृह जिले में ही ठेंगा दिखाया जा रहा है। नगर निगम की नाक तले जाली सर्टिफिकेटों का धंधा चल रहा है और खुद अधिकारी इससे परेशान हैं कि इस पर नकेल कैसे डाली जाए।
पिछले दो सप्ताहों में वैरीफिकेशन के लिए आए जाली सर्टिफिकेट पकड़ में आए हैं। लेकिन यह जानकारी नहीं है कि ऐसे कितने सर्टिफिकेट अभी भी लोगों के पास है, जिनकी पोल वैरीफिकेशन के समय ही खुलेगी। विडंबना ये है कि सरेआम डेथ बर्थ के सर्टिफिकेटों का खेल अधिकारियों की मिलीभगत से चलता रहा है।
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चील मंडी में एक दुकान के बाहर तो बकायदा सर्टिफिकेट, लेट एंट्री, करेक्शन एंट्री करवाने के बोर्ड साफ करते हैं कि निगम का इस पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं है। इतना ही नहीं पासपोर्ट कार्यालय और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के आसपास सर्टिफिकेट गिरोह विशेषरूप से सक्रिय है, क्योंकि यही पर लोग सर्टिफिकेटों के लिए पहुंचते हैं।
निगम के अपने कार्यालय में भी ये गिरोह काफी सक्रिय रहा है, पर डीसी रेट पर काम करने वालों की छुट्टी के पास इस पर काफी अंकुश लगा था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनकी गुपचुप एंट्री ? फिर से शुरू हो गई है। हालांकि विभागीय अधिकारी मंत्री सिद्धू के आदेशों के बाद कड़े तेवर अख्तियार किए हुए है, ऐसे में सर्टिफिकेटों के धंधेबाज धंधे के नए रास्ते ढूंढने में लगे हुए है।
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जाली मोहर तक बना रखी है गिरोह ने
जन्म-मृत्यु विभाग द्वारा हाल ही में कंप्यूटरराइज्ड सर्टिफिकेट बनाने का काम शुरू किया गया है। इससे पूर्व हाथ से मैनुअल सर्टिफिकेट बनाए जाते थे, लेकिन उस समय भी सर्टिफिकेट माफिया के लोग लोगों को अपने झांसे में फंसा कर ¨प्रटेड सर्टिफिकेट देते थे। गिरोह ने फर्जी सर्टिफिकेट, ¨प्रटर,मोहरें तक बना रखी हैं। खास बात तो ये है कि वे अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर करने से भी परहेज नहीं करते, जो कानून जुर्म है।
विभाग के सर्टिफिकेट एजेंटों के पास
डेथ व बर्थ सर्टिफिकेट डायरेक्टर सेहत विभाग द्वारा चंडीगढ़ से जारी किए जाते है। ये सर्टिफिकेट निगम व कमेटियां अपनी जरूरत के मुताबिक विभाग से लाते हैं। अगर बीच में जरूरत पड़ती है तो सिविल सर्जन कार्यालय से भी वे प्राप्त कर लेते हैं। इस में सर्टिफिकेटों की कापियां एजेंटों के हाथों में कैसे लग रही है, ये भी जांच का विषय है।
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सेवा केन्द्रों पर ही करे अप्लाई
विभागीय अधिकारी लोगों से आग्रह करते—करते थक गए हैं कि एजेंटों की ठगी से बचने के लिए वे सेवा केंद्रों पर ही डेथ बर्थ के सर्टिफिकेट, लेट एंट्री केस, करेक्शन के केस अप्लाई करें। पर दुखद पहलु ये है कि विभगाीय अधिकारी लोगों में अपना विश्वास ही नहीं बना पाए है कि बिना पैसे के भी कोई काम हो सकता है। इसी चक्कर में लोग एजेंटों का शिकार होते हैं। वहां पैसे भी भरते हैं और उसकी एवज में सर्टिफिकेट भी जाली लेकर चले जाते हैं। लोगों की सुविधा के लिए शहर में 21 सेवा केंद्र बने हुए हैं।
कोई बख्शा नहीं जाएगा : सिद्धू
जाली सर्टिफिकेट का पहला मामला सामने आने के बाद ही उस पर एफआईआर दर्ज करवा दी गई थी। दूसरे मामले में अभी लिखित शिकायत विभाग के पास नहीं पहुंची है। सर्टिफिकेटों का धंधा किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और न ही ऐसा करने वाले किसी को बख्शा जाएगा। विभागीय अधिकारी लगातार ऐसे मामलों पर निगाह बनाए हुए है।
- गुरलवलीन सिंह सिद्धू, कमिश्नर निगम।
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