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राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है साहित्य: चित्रा मुदगल

साहित्य को प्रफुल्लित करने के मकसद से प्रभा खेतान फाउंडेशन ने मंगलवार को जूम एप के जरिए ऑनलाइन अपनी भाषा अपनी लोग के तहत कार्यक्रम कलम का आयोजन करवाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 11:20 PM (IST)
राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है साहित्य: चित्रा मुदगल
राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है साहित्य: चित्रा मुदगल

हरदीप रंधावा, अमृतसर

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साहित्य को प्रफुल्लित करने के मकसद से प्रभा खेतान फाउंडेशन ने मंगलवार को जूम एप के जरिए ऑनलाइन 'अपनी भाषा अपनी लोग' के तहत कार्यक्रम 'कलम' का आयोजन करवाया। 'एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर' व 'श्री सीमेंट' के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में 'दैनिक जागरण' मीडिया पार्टनर रहा। लेखिका चित्रा मुदगल मुख्य मेहमान के तौर पर जुड़ीं। उन्होंने साहित्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल की तरह काम करता है। कार्यक्रम का आगाज जालंधर से रुही वालिया स्याल ने किया़, जबकि उनके जीवन सहित साहित्यिक सफर के विषय व उनके उपन्यासों संबंधी बातचीत करके अनु शक्ति सिंह ने श्रोताओं के रू-ब-रू करवाया।

बाजारवाद ने हमारे समाज को किया प्रभावित: चित्रा मुदगल ने कहा, लेखन की प्रतिभा व्यक्ति के भीतर ही छुपी होती है। इससे निकालने के लिए उसे उत्साहित करना बेहद जरूरी है। उन्हें याद है कि जब वह सातवीं कक्षा में थी, तो अध्यापक ने उन्हें कहानी लिखने के लिए उत्साहित किया था। ठाकुर परिवार में पैदा होने की वजह से उन्हें दुनियादारी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसमें खासकर मजदूर का जीवन स्तर शामिल था, जिसके चलते शादी के बाद मजदूरों के संग उनके इलाके में रहना ही पसंद किया। मजदूरों के दुख व कष्टों के विषय में उन्होंने सिर्फ किताबों में ही पढ़ा था। वह उनके बीच रहकर उनकी आवाज ऊपर तक पहुंचाना चाहती थीं। वर्तमान समय में साहित्य बहुत बदल गया है, क्योंकि इंटरनेट ने व्यक्ति को एक टेबल तक ही सीमित कर दिया गया है। उनके समय में साहित्य राजनीति के लिए एक मशाल का काम किया करता था, जोकि वर्तमान समय में युवाओं के लिए एक चुनौती बन गया है। युवा लेखकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके समय में भी कच्चा-पक्का लिखना चलता था। यह भविष्य में भी जारी रहेगा। आज बाजारवाद ने हमारे समाज को बहुत प्रभावित किया है, क्योंकि उनके समय में एक ही कार और टेलीविजन हुआ करता था, जहां सारा परिवार एक ही जगह पर बैठा करता था। यदि किसी बच्चे के मां-बाप का निधन हो जाता, तो उनके मामा उन्हें पढ़ाने के लिए आगे आया करते थे। तब न तो अनाथालय हुआ करते थे और न ही वृदाश्रम, क्योंकि लोग अपने मां-बाप की सेवा करते थे, जोकि वर्तमान समय में प्रभावित हुआ है।

एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य डॉ. जसमीत नैयर ने कहा, कोविड-19 की महामारी में लेखिला चित्रा मुदगल की बातचीत सुनकर उनके ज्ञान में इजाफा हुआ है। उन्होंने जूम एप के जरिए अपने तजुर्बे जो साझा किए हैं, वो युवा पीढ़ी के नए लेखकों के लिए खासा मददगार साबित होगा। एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य प्रीति गिल ने कहा, साहित्य को बढ़ावा देने के मकसद से प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा चित्रा मुदगल को शहरवासियों के रू-ब-रु करवाकर हमें बहुत खुशी है, क्योंकि युवा पीढ़ी का सोशल मीडिया व मोबाइल के साथ जुड़े रहना चिता का विषय है। एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य शीतल खन्ना ने कहा, लेखिका चित्रा मुदगल ने ऑनलाइन जुड़कर अपने जीवन के तजुर्बे व साहित्यक सफर का बाखूबी बयान किया है, जोकि युवाओं को नई दिशा व दशा देगा। साहित्य युवाओं के लिए खास प्लेटफार्म है, जिसमें वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं। एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य रमनजीत ग्रोवर ने कहा, साहित्य के क्षेत्र में कलम का अनूठा प्रयास है, इससे गुरु नगरी के युवा लेखकों को मार्ग दर्शन मिलेगा। तकनीकि युग में लोगों का किताबों के प्रति रूझान बढ़ाना कलम का मकसद है, क्योंकि किताबें यथार्थ का एहसास करवाती हैं। एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य सोनाक्षी कुंद्रा ने कहा, हमें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए एक सुनहरी अवसर हासिल हुआ है। प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित कलम का कार्यक्रम बच्चों को साहित्य के साथ जोड़ने में एक सफल प्रयास है। भविष्य में भी शहर के युवा ऐसे आयोजन चाहते हैं। एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य परनीत बब्बर ने कहा, चित्रा मुदगल भारत की पहली नारी हैं, जिन्हें अवाण उपन्यास के लिए अवार्ड हासिल हुआ है। साल-2019 में उन्हें साहित्य अकादमी की तरफ से अवार्ड उपन्यास पोस्ट बॉक्स नंबर-203 व नालासोपारा के लिए मिला था और उन्हें सुनना हमारा सौभाग्य है।


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