13 माह बाद भी ताले में बंद है जन औषधि
देश की पहले जन औषधि केंद्र में 13 माह बाद भी अनिश्चितता का ताला लटका है।
नितिन धीमान, अमृतसर : देश की पहले जन औषधि केंद्र में 13 माह बाद भी अनिश्चितता का ताला लटका है। ताला कब खुलेगा, यह सवाल मरीज बार-बार अस्पताल प्रशासन से कर रहा है, पर अस्पताल प्रशासन ऊपर से आदेश आने की बात कहकर मरीजों को शांत करने का प्रयास कर रहा है। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि जन औषधि का संचालन रेडक्रास ही करेगी या यह सिविल अस्पताल के पाले में जाएगी।
दरअसल, 2008 में देश का पहला जन औषधि केंद्र अमृतसर स्थित सिविल अस्पताल में खोला गया था। मकसद था मरीजों को वाजिब दाम में जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाना। निसंदेह, यह केंद्र मरीजों के लिए वरदान बना, पर जुलाई 2016 में यहां एक बड़ी कारस्तानी उजागर हुई। जन औषधि केंद्र में कार्यरत कर्मचारी जेनेरिक दवाओं की आड़ में ब्रांडेंड दवाएं बेचता पकड़ा गया था। सिविल अस्पताल प्रशासन ने भारी मात्रा में दवाएं बरामद कीं और इसके बाद जन औषधि केंद्र को ताला लगा दिया गया। अप्रैल-2022 में पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन मोहाली ने जन औषधि का संचालन रेडक्रास से लेकर सिविल अस्पताल की रोगी कल्याण समिति को दिया। यह आदेश जारी किए गए कि अब समिति इसका संचालन करेगी। रोगी कल्याण समिति सिविल अस्पताल से जुड़ी वह संस्था है जो अस्पताल की बेहतरी के लिए काम करती है। दुर्भाग्यवश रोगी कल्याण समिति भी इसका संचालन नहीं कर पाई। ऐसे में जिला प्रशासन ने पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन को पत्र लिखकर जन औषधि का संचालन रेडक्रास को ही देने की अपील की थी। इस सारी प्रक्रिया में जन औषधि केंद्र में रखी 70 हजार रुपये की जेनेरिक दवाएं एक्सपायरी डेटेड हो गई थीं।
जन-जन से दूर हुई जन औषधि को शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन व पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के बीच धीमी गति से पत्राचार हो रहा है। जिला प्रशासन ने कारपोरेशन को स्मरण पत्र भेजकर एक बार फिर जन औषधि का संचालन रेडक्रास को देने की अपील की है। सितंबर में जन औषधि केंद्र के शुरू होने की उम्मीद
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. चंद्रमोहन का कहना है कि हमें उम्मीद है कि सितंबर की शुरुआत में जन औषधि केंद्र कार्यान्वित हो जाएगा। रेडक्रास ने इसके संचालन का जिम्मा मांगा है। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन इस पर विचार कर रही है। कागजी कार्रवाइयों के चक्कर में काम में हो रही देरी बीती 12 मई को एडीसी सुरिदर की अगुआई में हुई बैठक में जन औषधि का संचालन रेडक्रास से लेकर सिविल अस्पताल की रोगी कल्याण समिति को देने पर मुहर लगाई गई थी। सिविल अस्पताल प्रशासन को जन औषधि के संचालन के लिए पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन की स्वीकृति की दरकार थी, लिहाजा कारपोरेशन को पत्र लिखा गया। कारपोरेशन ने स्वीकृति प्रदान की। सरकारी कामों में नियमों और कागजी कार्रवाइयों का तकाजा यह है कि हर काम देरी से होता है। कारपोरेशन की स्वीकृति मिलने के बाद अब सिविल अस्पताल प्रशासन को रेडक्रास से भी कागजी सुपुर्ददारी चाहिए थी। मसलन, रेडक्रास लिखकर देता कि वह सिविल अस्पताल प्रशासन को जन औषधि दे रही है। अप्रैल में अस्पताल प्रशासन ने रेडक्रास को सुपुर्ददारी के लिए पत्र लिखा था, पर कोई जवाब नहीं मिला। हां, रेडक्रास ने जन औषधि के संचालन के लिए कारपोरेशन से अपील की। वास्तविक स्थिति यह है कि एक बार कारपोरेशन ने जन औषधि सिविल अस्पताल को दी थी, अब रेडक्रास मांग रहा है। इस सबके बीच पिस तो मरीज ही रहा है।