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टीबी अस्पताल में मरीज ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम

सरकारी टीबी अस्पताल में एक मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 12:20 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 12:20 AM (IST)
टीबी अस्पताल में मरीज ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम

जागरण संवाददाता, अमृतसर : सरकारी टीबी अस्पताल में एक मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। आरोप है कि मरीज की हालत बिगड़ती देख उसकी बहन ने स्टाफ नर्स को जनरल वार्ड में बुलाया, पर इमरजेंसी रूम में बैठी नर्स ने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि मरीज को वहां ले आओ। मरीज की हालत बिगड़ती गई और वह जान से हाथ धो बैठा।

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जालंधर के किशनपुरा निवासी अनिल कुमार को टीबी की शिकायत थी। उसकी यह स्थिति मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट की वजह से हुई। वह नशा सेवन का आदी था। टीबी की वजह से उसे फेफड़े गल चुके थे। बीते शनिवार को अनिल कुमार को अमृतसर के टीबी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसकी जांच के बाद उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया। अनिल की बहन सोनिया के अनुसार सोमवार की रात तकरीबन तीन बजे अनिल कुमार को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह हांफने लगा। ऐसी स्थिति में वह इमरजेंसी वार्ड में बैठी एक स्टाफ नर्स के पास गई। स्टाफ नर्स लगभग निद्रा में थी। उसने उससे अनिल की बिगड़ती हालत का हवाला देते हुए आने को कहा, पर नर्स ने दो-टूक जवाब दिया कि मरीज को यहां ले आओ तो ही उसकी जांच करूंगी। उसने कहा कि मरीज तो बिस्तर से उठ नहीं सकता, पर नर्स अपनी बात पर अड़ी रही। इसके बाद वह वार्ड में अपने भाई के पास पहुंची। अनिल को ऑक्सीजन की जरूरत थी, पर वॉर्ड में उस वक्त कोई भी स्टाफ सदस्य नहीं था। उसकी आंखों के सामने ही भाई ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। यदि स्टाफ नर्स आकर उसे ऑक्सीजन लगा देती तो उसकी जान नहीं जाती। स्टाफ नर्स को कोसते हुए सोनिया ने ऑटो मंगवाया और भाई का शव उसमें रखकर जालंधर के लिए रवाना हो गई।

आरोप : जरा-सी ऑक्सीजन देकर हटा लेते हैं पाइप

टीबी अस्पताल में उपचाराधीन एक मरीज ने बताया कि यहां कार्यरत स्टाफ उनसे दु‌र्व्यवहार करता है। टीबी का शिकार मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। स्टाफ कुछ समय के लिए ऑक्सीजन मास्क लगा देता है, लेकिन बाद में इसे हटा दिया जाता है। मरीज तड़पते रहते हैं। यदि कोई विरोध करता है तो स्टाफ कहता है कि और कितनी ऑक्सीजन खींचेगा? जितनी जरूरत थी उतनी दे दी है।

मरीज बोले, एत्थे बंदे नूं बंदा नहीं समझदे

टीबी उन्मूलन के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने दर्जनों प्रोजेक्ट कार्यान्वित किए हैं। इसके बावजूद टीबी अस्पताल में मरीजों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। मरीज बताते हैं कि वार्ड में दाखिल मरीजों को यहां कार्यरत स्टाफ नफरत की ²ष्टि से देखता है। यहां बंदे को बंदा नहीं समझा जाता। मरीज तड़पते रहते हैं, पर डॉक्टर उनकी पुकार नहीं सुनते। यहीं बस नहीं टीबी अस्पताल की शौचालयों की हालत बेहद खराब है। गंदगी से भरे इन शौचालयों का प्रयोग जानवर भी नहीं कर सकते। मच्छरों की यहां भरमार है, जिससे मरीज बेहाल हैं।

अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को निराधार बताया

टीबी अस्पताल के इंचार्ज डॉ. नवीन पांधी का कहना है कि सोनिया द्वारा लगाए सभी आरोप गलत हैं। अनिल कुमार मल्टी ड्रग रसिस्टेंट की वजह से टीबी का शिकार बना था। रात को उसकी हालत बिगड़ी तो स्टाफ ने उसे गुरुनानक देव अस्पताल जाने को कहा था, क्योंकि वहां आइसीयू का प्रबंध है पर अनिल की बहन सोनिया उसे वहां लेकर नहीं गई। जब उसकी मौत हो गई तो उसने अस्पताल के स्टाफ पर ही आरोप लगाए हैं। उन्होंने नाइट ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स व पीजी को बुलाकर स्पष्टीकरण लिया है। उन्होंने यही बताया है।

वर्ष 2017 में भी ऑक्सीजन की कमी से मरीज ने तोड़ा था दम

टीबी अस्पताल में 2017 में एक मरीज की जान गई थी। उस वक्त अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो चुके थे। मरीज को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी। ऐसी स्थिति में उसकी जान चली गई। मामले की जांच हुई तो विभाग ने गैस आपूर्ति करने वाली कंपनी को कसूरवार ठहराया था।


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