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12 हजार गांवों में छिपी प्रतिभा को बाहर निकालेगी पीएसी : सिद्धू

पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि युवाओं को इंटरनेट के जाल से निकालने और जगह जगह बिखरी कला को एक मंच पर लाने के लिए पीएसी काम करेगी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 25 Sep 2017 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 25 Sep 2017 01:15 PM (IST)
12 हजार गांवों में छिपी प्रतिभा को बाहर निकालेगी पीएसी : सिद्धू
12 हजार गांवों में छिपी प्रतिभा को बाहर निकालेगी पीएसी : सिद्धू

अमृतसर, [हरदीप रंधावा]। पंजाब के 12 हजार गांवों में सैकड़ों प्रतिभावान युवाओं और उनकी छिपी प्रतिभा को बाहर लाने के लिए पंजाब आर्ट कौंसिल (पीएसी) डा. सुरजीत पातर के नेतृत्व में विशेष कार्यक्रम आयोजित करवाएगी। लाला धनी राम चात्रिक के 141वें जन्म दिन के उपलक्ष्य में रविवार गांव लोपोके में आयोजित कार्यक्रम के बाद कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ये जानकारी पत्रकारों को दी।

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सिद्धू ने कहा कि युवाओं को इंटरनेट के जाल से निकालने और जगह जगह बिखरी कला को एक मंच पर लाने के लिए पीएसी इसकी पहल करेगी। पंजाबी विरसे को संभालने के लिए पिछले दिनों इसका शुभारंभ किया गया और इसकी मिसाल आज सबके सामने है। समाज से नशा खतम करने में पंजाबी विरसा अहम रोल अदा कर सकता है। जब युवा पीढ़ी अपने अमीर विरसे से जुड़ेगी तो सामाजिक बुराईयां अपने-आप खतम हो जाएंगी। 

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पंजाब हिस्ट्री एंड कल्चर सब्जेक्ट करवाएंगे सलेबस में शामिल

सिद्धू ने कहा कि पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड द्वारा पंजाब हिस्ट्री एंड कल्चर सब्जेक्ट सलेबस में शामिल करवाने के लिए उनकी पिछले दिनों राज्य की शिक्षा मंत्री से बात हुई है। चूंकि बच्चे यदि शुरू से ही अपने महान विरसे के प्रति शिक्षित होंगे तो वे यह जान सकेंगे कि धनी राम चात्रिक, मोहन सिंह, गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी, यमला जट्ट कौन थे और उनकी पंजाबी विरसे को क्या देन है। इसलिए पंजाबी विरसे के संबंध में पंजाब हिस्ट्री एंड कल्चर सब्जेक्ट सलेबस में शामिल होना जरुरी है।

चात्रिक की लोपोके में बनाएंगे यादगार

इसी दौरान डा. सुरजीत पातर ने कहा कि पीएसी को नया रूप देने के लिए पीएसी को चंडीगढ़ से बाहर गांवों में लेकर जाना है। इसी सोच के साथ गांव लोपोके का नाम उनके जहन में आया। धनी राम चात्रिक इसी गांव में पले-बड़े थे और इसी महीने उनकी जयंती भी है। यहीं पर चात्रिक ने कई कविताओं व रचनाओं को लिखा। गांव में उनका कोई पुराना घर तो नहीं मिला, लेकिन आने वाले दिनों में उनकी याद में गांव के स्कूल या चौक में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 

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