Move to Jagran APP

आक्सीजन प्लांट से मरीजों को सांसें देने में आई अड़चन

गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में इंस्टाल किए गए आक्सीजन जनरेटिग प्लांट से शुद्ध आक्सीजन के उत्पादन में अभी वक्त लग सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 11:00 PM (IST)
आक्सीजन प्लांट से मरीजों को सांसें देने में आई अड़चन
आक्सीजन प्लांट से मरीजों को सांसें देने में आई अड़चन

जागरण संवाददाता, अमृतसर: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में इंस्टाल किए गए आक्सीजन जनरेटिग प्लांट से शुद्ध आक्सीजन के उत्पादन में अभी वक्त लग सकता है। चार जून को इंस्टाल किए गए इस प्लांट को प्रतिदिन दो से तीन घंटे ट्रायल के तौर पर चलाया जा रहा है। इस प्लांट से अभी 94 फीसद शुद्ध आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि 98.5 फीसद शुद्ध आक्सीजन की दरकार है।

loksabha election banner

आक्सीजन का शुद्धता स्तर कितना है, इसकी जांच के लिए गुड़गांव से इंजीनियरिग विग की टीम जल्द ही यहां पहुंचेगी। इंजीनियर्स द्वारा तैयार आक्सीजन के सैंपल लिए जाएंगे और इसकी जांच की जाएगी। जांच प्रक्रिया में यदि आक्सीजन की शुद्धता का स्तर 98.5 आ जाता है तो इसे मरीजों के लिए आपूर्त किया जाएगा।

हालांकि आक्सीजन सप्लाई करने में एक और बड़ी अड़चन है। आक्सीजन जनरेटिग प्लांट से जोड़ी गई पाइपलाइन दो किलोमीटर लंबी है। इस कारण आक्सीजन वार्डो तक पहुंचाना काफी मुश्किल लग रहा है। पाइपलाइन का एरिया ज्यादा होने की वजह से आक्सीजन का प्रेशर बनाना भी जरूरी है, पर प्रारंभिक तौर पर आक्सीजन प्लांट से यह कार्य काफी मुश्किल प्रतीत हो रहा है। प्लांट से मेडिकल आक्सीजन तो तैयार की जा सकती है, पर दो किलोमीटर एरिया में भेजने के लिए कुछ विशेष उपकरण चाहिए। यह उपकरण डीआरडीओ से मंगवाए जाएंगे। अभी मोहाली और पानीपत से लिक्विड आक्सीजन टैंकर मंगवाकर आक्सीजन की आपूíत की जा रही है। अस्पताल में मरीजों की संख्या अब 69 है, लिहाजा प्रतिदिन पाच टन आक्सीजन की हो रही है खपत। पूर्व में यह प्रतिदिन 15 टन थी।

इस प्लांट से 12.5 टन आक्सजीन का होगा उत्पादन

रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन द्वारा भेजे गए इस प्लांट से प्रतिदिन 12.5 टन आक्सीजन का उत्पादन हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जीएनडीच में प्रतिदिन 15 से 20 टन आक्सीजन की खपत थी। जून महीने में संक्रमण दर कम होने के बाद मरीजों की संख्या घटी है, इस वजह से आक्सीजन की ख्पत भी कम हुई है। अभी अस्पताल में मोहाली व पानीपत से आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। जब यह प्लांट कार्यान्वित होगा तब आक्सीजन के मामले में अस्पताल आत्मनिर्भर बन जाएगा। मेडिकल आक्सीजन तैयार करने की प्रक्रिया को गैस क्रोयाजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस कहते हैं। इसमें प्राकृतिक हवा को आक्सीजन जनरेटिग प्लांट में फिल्टर कर धूल-मिट्टी इत्यादि कण हटाए जाते हैं। इसके बाद कई चरणों में हवा पर भारी दबाव डाला जाता है। इससे प्राकृतिक आक्सीजन कंप्रेस होती है। फिर मालीक्यूलर एडजार्बर से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में विद्यमान पानी, कार्बन डाई आक्सीजन व हाइड्राकार्बन को हटाया जा सके। इसके बाद यह हवा डिस्टिलेशन में जाती है, जहां इसे माइनस 185 सेंटीग्रेट तक ठंडा किया जाता है। इस सारी प्रक्रिया के बाद मेडिकल आक्सीजन तैयार होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.