मंदिर खुलने पर भी नहीं बिक रही पूजा सामग्री, दुकानदारों पर रोजी-रोटी का संकट
धार्मिक स्थल में जब कोई भी जाता है तो वह प्रसाद व अन्य पूजा सामग्री जरूर लेकर जाता है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : धार्मिक स्थल में जब कोई भी जाता है तो वह प्रसाद व अन्य पूजा सामग्री जरूर लेकर जाता है। कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान पूजा सामग्री बेचने वाले दुकानदारों की जीविका का साधन बंद हो गया है। दैनिक जागरण ने जब महानगर के कुछ धार्मिक स्थलों का दौरा किया तो यह बात सामने आई कि अभी मंदिरों के कपाट बंद हैं। उसी कारण मंदिरों के बाहर प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान की दुकानें भी बंद पड़ी हैं।
सिद्धपीठ माता लाल देवी भवन मॉडल टाउन में भक्त नारियल, फूलों का सेहारा, मां की चुनरी व अन्य पूजा सामग्री का सामान चढ़ाते हैं। इस मंदिर के बाहर चार पांच दुकानें हैं। जो इस सामान को बेच कर जीविका कमाते हैं।
नारियल व अन्य सामान बेचने वाले दुकानदार विशाल कुमार ने बताया कि आठ जून को मंदिर खुलने की बात चल रही है। प्रसाद मंदिर में चढ़ाया जाएगा अथवा नहीं इस बारे उनके मन में भय है। हालात यह हैं कि कुछेक लोग दिहाड़ी लगा कर जीविका कमा रहे हैं।
श्री दुग्र्याणा तीर्थ के बाहर नटराज पूजा भंडार के ओम दत्त ने बताया कि कई पूजा सामग्री का सामान खराब हो गया है। वह मंदी के दौर में फंस गए है।
शिव शंकर प्रसाद भंडार के मालिक राजेश कुमार ने कहा कि अब भविष्य की चिता सताने लगी है। अगर टूरिस्ट व लोकल भक्त मंदिरों में आएंगे तभी उनको राहत मिलेगी।
सिद्धपीठ माता लाल देवी भवन मॉडल टाउन के बाहर छोटे बच्चों के मुंडन करने वाले रघु ने बताया कि पहले वह रोजाना 300 से 400 रुपये कमा लेता था। अब खाली हाथ ही घर जाना पड़ रहा है।
शिवाला बाग भाईया के बाहर फूल बेच कर जीविका कमाने वाले विक्की, गोलू, मीनू ने बताया कि मंदिरों के कपाट होने से उनकी जीविका छीनी गई है। अब वह दूसरा काम कर घर का गुजारा कर रहे हैं।