अमृतसर हादसा: 20 हजार लोगों की सुरक्षा के लिए थे 45 पुलिसकर्मी
अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास आयोजित दशहरा कार्यक्रम में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। 20 हजार से अधिक की भीड़ के लिए सिर्फ 45 पुलिसकर्मी ही तैनात है।
जेएनएन, अमृतसर। शहर के जोड़ा रेल फाटक के पास धोबीघाट मैदान में आयोजित दशहरा कार्यक्रम के दौरान हुए हादसे को लेकर कई पहलू सामने आ रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं थे! 20 हजार से अधिक भीड़ जमा थी और सुरक्षा व किसी तरह केे हालात से निपटने के लिए महज 45 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे। ऐसे में भीड़ पर नियंत्रण रखना इन पुलिसकर्मियों के लिए संभव नहीं था। अायोजकों का दावा है कि सौरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान ने 20 हजार से ज्यादा लोगों के पहुंचने की बात पुलिस को लिखे एक पत्र में कही थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि बिना पुलिस व सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए किसी तरह की दुर्घटना को किस तरह से रोका जा सकता था और भीड़ को कैेसे नियंत्रित किया जा सकता था। बताया जाता है कि मोहकमपुरा थाने से 23 मुलाजिमों और थाना प्रभारी को आयोजन स्थल भेज दिया गया था। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों में ड्यूटी करने वाले 18 अन्य पुलिसकर्मियों का कार्यक्रम में सुरक्षा के लिए भेजा गया था। इसके अलावा चार अधिकारी भी वहां तैनात थे। दशहरा मेले में स्टेज पर मुख्य मेहमान डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के सुरक्षा घेरे में 15 पुलिसकर्मी तैनात थे।
बताया जा रहा है कि एडीसीपी (ट्रैफिक) दिलबाग सिंह को मेला स्थल और उसके आसपास के क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके आदेश पर एसीपी (ट्रैफिक) प्रभजोत सिंह, रामबाग थाना प्रभारी जसपाल सिंह और मोहकमपुरा थाने के दो थानेदार सुरक्षा के प्रबंधों का जायजा ले रहे थे।
पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम स्थल की बाउंड़ी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने रेलवे ट्रैक से दशहरा देखने वाले लोगों को कई बार ट्रेन आने को लेकर आगाह किया था। लेकिन, शोर शराबे के बीच लोग कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी। एडीसीपी और एसीपी को छोड़कर सभी 43 पुलिस कर्मी धोबीघाट के अंदर और बाहर ड्यूटी कर रहे थे। इसके बावजूद रेल ट्रैक की तरफ किसी ने सख्ती नहीं की। इस पर पुलिस कमिश्नर से लेकर थाना स्तर के अधिकारियों से बात की गई, लेकिन उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
कागजी कार्रवाई तक सीमित न रहे मंजूरी : वेरका
रिटा. जस्टिस अजीत सिंह बैंस के नेतृत्व वाले मानवाधिकार संगठन के चीफ इनवेस्टीगेटर सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि भविष्य में ध्यान रखना चाहिए कि सरकारी विभागों से दी जाने वाली मंजूरी कागजों तक ही सीमित न रहे। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस हमेशा पुलिसकर्मियों की कमी का रोना रोती है। उन्होंने कहा कि अगर फोर्स कम थी तो रिजर्व बटालियन और अन्य हथियारबंद सुरक्षा एजेंसियों से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मंगवाए जा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।