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राज्यपाल के आदेश पर अनाधिकृत दवा दुकानों की जांच करेंगे सेवामुक्त आइएएस अधिकारी

अमृतसर गुरुनानक देव अस्पताल में स्थित दुकानों को खाली करवाने के लिए आइएएस अधिकारी तिलकराज सारंगल को सौंपा जांच का जिम्मा

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 12:18 AM (IST)
राज्यपाल के आदेश पर अनाधिकृत दवा दुकानों की जांच करेंगे सेवामुक्त आइएएस अधिकारी

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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गुरुनानक देव अस्पताल में स्थित मेडिसिन शॉप्स पर वर्षों से जमे दवा विक्रेताओं को बाहर निकालने व किराया वसूलने के लिए मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग ने कमर कस ली है। ये दुकानदार इन दुकानों का किराया नहीं दे रहे और अस्पताल प्रशासन द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद खाली भी नहीं कर रहे। एक दुकानदार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में केस भी दायर किया है। विभाग इन दुकानों की बोली करवाकर अलॉटमेंट करना चाहता है, पर कुछ तकनीकी पहलुओं के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा।

अब यह मामला पंजाब के राज्यपाल बीपी बदनौर के पास पहुंच गया है। राज्यपाल ने मामले की जांच का जिम्मा आइएएस अधिकारी सेवामुक्त तिलकराज सारंगल को सौंपा है। इसके साथ ही मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग ने सभी दुकानों व बूथों की लिस्ट, इन पर हुए कब्जों का ब्यौरा, जिन दुकानदारों ने हाईकोर्ट मे अपील दायर की है उनका विवरण, अदालत में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट व भविष्य में इस तरह दुकानों पर कब्जा न हो सके, इसके लिए उठाए गए कदम अथवा सुझाव मांगे हैं। विभाग ने अनाधिकृत रूप से बैठे दुकानदारों के खिलाफ 31 जनवरी तक जांच रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है। आठ दुकानें व एक कैंटीन की बोली करवाना चाहता है विभाग

दरअसल, अस्पताल परिसर में स्थित आठ दुकानों व एक कैंटीन का विवाद पिछले कई वर्षों से बरकरार हैं। अस्पताल परिसर के भीतर बनी इन दुकानों को संचालित करने वाले दुकानदारों को हर रोज हजारों रुपयों की आय हो रही है, लेकिन वे निर्धारित मापदंडों के अनुसार दुकान का किराया नहीं भर रहे। इनमें एक दुकान ऐसी हैं जिसका प्रतिमाह का किराया 2.35 लाख है। किराया न मिलने की वजह से विभाग को हर साल करोड़ों का नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि इस मामले में पंजाब के राज्यपाल के आदेश पर सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।

किराए पर देकर किराया वसूल रहे हैं दुकानदार

यह जानकार हैरानी होगी कि वर्षों पूर्व जिन दुकानदारों ने दुकानें ली थीं, उनमें से कुछ दुनिया से रुख्सत हो गए। उनके परिवार वालों ने दुकानें आगे किसी को किराए पर दे दी। ये परिवार हर माह इन दुकानों का किराया वसूल रहे हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि विभाग ने इन दुकानदारों को तीन-तीन साल के लिए दुकानें अलॉट की थीं। तीन साल पूरे होने पर जब विभाग ने दुकानें खाली करवाने का नोटिस भेजा तो कुछ दुकानदार हाईकोर्ट की शरण में चले गए। न अस्पताल प्रशासन को किराया मिल रहा है और न ही दुकानें खाली हो रही हैं। यही वजह है कि विभाग सारे तथ्यों की पड़ताल के बाद रिपोर्ट तैयार कर दुकानें खाली करवाने की रूपरेखा तय करेगा। जांच अधिकारी को यूजर चार्जेज से भुगतान करेगा अस्पताल प्रशासन

सेवामुक्त आइएएस अधिकारी तिलकराज सारंगल द्वारा की जाने वाली जांच की मद में होने वाला सारा खर्च अस्पताल प्रशासन को देना होगा। विभाग ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह मरीजों से प्राप्त यूजर चार्जेज की राशि में से जांच अधिकारी को भुगतान करे। कई नोटिस जारी किए, पर नहीं खाली हुई दुकानें : एमएस

गुरुनानक देव अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल का कहना है कि एक आध दिन में जांच शुरू हो जाएगी। मैंने व्यक्तिगत रूप से दुकानदारों से कई बार कहा कि वे समय पर किराया भरें, नोटिस भी जारी किए गए, पर वे मानते नहीं। नियमानुसार हर दुकान तीन साल के अलॉट की जाती है, पर ये दुकानदार वर्षों से न केवल यहां जमा है, बल्कि किराया भी नहीं देते। हम चाहते हैं कि नियमानुसार बोली करवाई जाए। जो बोली हासिल कर ले, उसे दुकान दे दी जाए।


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