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नूरा सिस्टर्स ने कमली यार दी कमली और वडाली ने चरखे पर नचाए दर्शक

अमृतसर : पंजाब सरकार के विभाग टूरिज्म एंड कल्चर अफेयर की ओर से किला गोबिंदगढ़ में करवाए गए तीन दिवसीय सूफी संगीत उत्सव के आखिरी दिन मंगलवार को नूरां सिस्टर्स और उस्ताद पूर्ण सिंह वडाली व उनके बेटे लखविंदर वडाली ने पनी परफार्मेस दी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 12:06 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 12:06 AM (IST)
नूरा सिस्टर्स ने कमली यार दी कमली और वडाली ने चरखे पर नचाए दर्शक
नूरा सिस्टर्स ने कमली यार दी कमली और वडाली ने चरखे पर नचाए दर्शक

जागरण संवाददाता, अमृतसर : पंजाब सरकार के विभाग टूरिज्म एंड कल्चर अफेयर की ओर से किला गोबिंदगढ़ में करवाए गए तीन दिवसीय सूफी संगीत उत्सव के आखिरी दिन मंगलवार को नूरां सिस्टर्स और उस्ताद पूर्ण सिंह वडाली व उनके बेटे लखविंदर वडाली ने पनी परफार्मेस दी। जैसे ही उक्त गायकों ने संगीत पेश किया तो सुनने के लिए सैंकड़ों लोग झूमने लगे। पहले नूरा सिस्टर ने परफार्मेस करते हुए करीब दो घटे तक समय को बाधे रखा। नूरां सिस्टर की ओर से कुली यार दी, कमली यार दी कमली, दुनिया मतलब दी, यार दी गली, जिंदे मेरिये आदि गीत पेश किए। वहीं इसके बाद वडाली पिता-पुत्र ने ईश्वर का नाम लेकर गीत पेश किए। नित चरखी गली विच डावा, तू माने या न माने, असा तैनू रब्ब मनया, सौदा इक्को जेहा, चिट्ठिये, दमादम मस्त कलंदर, अल्फ अल्ला आदि गीत पेश किए। दोनों पिता-पुत्र ने अपने गीतों पर सभी को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया।

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गौर हो कि उस्ताद पूर्ण सिंह वडाली पहले अपने भाई प्यारे लाल वडाली के साथ गाते थे मगर करीब एक साल पहले प्यारे लाल वडाली की अचानक मौत हो गई थी। वहीं तीसरे दिन भी डीसी कमलदीप सिंह संघा, पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तवा, आईजी एसएस परमार, एडीसीपी जगजीत सिंह वालिया सहित कई पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। पुलिस अधिकारी व सैंकड़ो की संख्या में टूरिस्ट भी इस सूफी उत्सव का आनंद उठाने के लिए पहुंचे थे। टूरिज्म विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सूफी संगीत उत्सव करवाने का मुख्य मकसद टूरिस्टों को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करना है। इससे न केवल अमृतसर में व्यापार की वृद्धि होगी बल्कि युवा पीढ़ी को रोजगार भी मिलेगा।

बाक्स.

लोगों को सूफी गायकी से जोड़ना बहुत जरूरी

इसी दौरान उस्ताद पूर्ण सिंह वडाली ने कहा कि सूफी गायकी हमें हमारे विरसे की याद दिलाती है। इसके साथ युवा पीढ़ी को जोड़ना बहुत जरूरी है। क्योंकि आज की पीढ़ी नए-नए गीतों को देखकर उसी के जैसा होती जा रही है जिससे न केवल इन युवाओं को बल्कि सामाज को भी बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। इसलिए यह हमारी नैतिक जिम्मेंदारी बनती है कि हम जो भी गीत पेश करें। उससे सामाज को एक नई दिशा मिले। न कि गीतों के जरिए युवा पीढ़ी गलत रास्ते की तरफ कदम बढ़ाये। आज कल के गायकों को भी चाहिए कि स्वर लहरी साफ सुथरी गायकी पेश करें।


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