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नवजोत सिंह सिद्धू किसानों के समर्थन में कल उतरेंगे सड़कों पर, अमृतसर में देंगे धरना

नवजोत सिंह सिद्धूू एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। ट्विटर पर लंबे समय के बाद चुप्पी तोड़ने वाले सिद्धू अब किसानों के पक्ष में सड़कों पर उतरेंगे। वह कल यानी बुधवार को अमृतसर से किसानों के समर्थन में धरने पर बैठेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 04:24 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 04:24 PM (IST)
कांग्रेस नेता व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल फोटो)

जेएनएन, अमृतसर। क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) लंबी चुप्पी के बाद फिर से सक्रिय हो गए हैं। ट्विटर पर सक्रियता बढ़ाने के बाद कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सिद्धू नेे कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों का साथ देने का एलान किया है। सिद्धूू कल किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे। आज वह इस संबंध में विधानसभा हलका अमृतसर पूर्वी के नेताओं और पार्षदों के साथ होली सिटी स्थित अपने निवास पर बैठक कर रहे हैं।

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सिद्धू बुधवार को अपने समर्थकों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ रोष धरने पर बैठेंगे। हाल गेट के बाहर प्रस्तावित रोष धरने को लेकर आज उन्होंने बैठक रखी, ताकि धरने में अधिक से अधिक लोगों की सहभागिता हो सके। वहीं, सिद्धू ने आज एक बार फिर ट्वीट कर किसानों को समर्थन किया। सिद्धू ने लिखा ''काले बिल पास, पूंजीपतियों की कमाई का रास्ता साफ। किसान की राह में कांटे, पूंजीपतियों की राह में फ़ूल। भारी पड़ेगी भूल...''

बता दें, नवजोत सिंह सिद्धू लंबी चुप्पी के बाद एक बार फिर सक्रिय हुए हैं।  सिद्धू पिछले 21 जुलाई 2019 के बाद ट्विटर पर सक्रिय हुए हैं। मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद से उन्होंने सार्वजनिक रूप से न किसी बड़े कार्यक्रम में शिरकत की और न ही सोशल मीडिया पर ही सक्रिय रहे। ट्विटर पर सक्रिय हुए सिद्धू ने लिखा कि जंग की तूती बोल रही है। उन्होंने लिखा कि पंजाब, पंजाबियत और हर पंजाबी किसान के साथ है। किसान पंजाब की आत्मा, शरीर के घाव भर जाते हैं पर आत्मा पर वार नासूर बन कर सदा रिसता है, हमारे अस्तित्व हमारी आत्मा पर वार बर्दाश्त नही| जंग की तूती बोल रही है - इंकलाब जिंदाबाद|

पंजाब में भाजपा को छोड़कर सभी दल कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। कृषि विधेयकों के विरोध में ही हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है। कांग्रेस पहले ही इस विधेयक के विरोध में है। अब किसानों का यह मुद्दा उनका मुद्दा रहने के बजाय राजनीतिक मुद्दा ज्यादा हो गया है। 


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