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डिफाल्टर किरायेदारों पर शिकंजा, 350 को नोटिस भेज दिया सात दिन का समय

किरायेदार निगम का दो करोड़ रुपया दबाए बैठे हैं। जिसमें एक करोड़ रुपया मौजूदा किराया है जबकि एक करोड़ रुपया पिछले बकाया पेडिंग है। विभाग ने 350 किरायेदारों को नोटिस जारी कर दिया है। साफ कहा है कि सात दिन में किराया जमा करवाया जाए। इसके बाद सीलिंग शुरू होगी।

By Edited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:34 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 11:43 AM (IST)
शहर में लगभग 52 मार्केट हैं, जहां निगम ने अपनी दुकानें किराये पर दी हैं।

अमृतसर, जेएनएन। नगर निगम के एस्टेट विभाग ने डिफाल्टर किरायेदारों पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू कर दी है। किरायेदार निगम का दो करोड़ रुपया दबाए बैठे हैं। जिसमें एक करोड़ रुपया मौजूदा किराया है, जबकि एक करोड़ रुपया पिछले बकाया पेडिंग है। विभाग ने 350 किरायेदारों को नोटिस जारी कर दिया है। साफ कहा है कि सात दिन में किराया जमा करवा दिया जाए। इसके बाद दुकानों की सीलिंग शुरू की जाएगी।

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दरअसल, शहर में लगभग 52 मार्केट हैं, जहां निगम ने अपनी दुकानें किराये पर दी हैं। 1100 के लगभग दुकानदार निगम के किरायेदार हैं। एस्टेट विभाग द्वारा अब शुरू की गई रिकवरी की कवायद में प्रथम चरण में साढ़े तीन सौ दुकानदारों को नोटिस जारी करते हुए साफ कर दिया गया है कि अगर उन्होंने सात दिन के भीतर अपना बनता किराया व बकाया जीएसटी सहित जमा नहीं करवाया तो सी¨लग की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

एस्टेट विभाग ने अपनी पूरी ताकत किराये की रिकवरी में झोंकी दी है ताकि सालाना टारगेट को समय रहते पूरा कर लिया जाए। सियासी शह पर कब्जे सबसे बड़ी चुनौती निगम की दुकानों को लेकर हमेशा ही विवाद रहा है। विशेषकर किराये के डिफाल्टरों ने सियासी रसूख रखने वालों को आगे दुकानें दी हुई हैं। इस वजह से उनसे किराये की उग्राही भी आसान नहीं है। लंबे समय से ऐसे दुकानदारों द्वारा किराया अदा नहीं किया गया है। अब एस्टेट विभाग इन्हें भी चिन्हित कर कार्रवाई करने की कवायद में है। इसके अलावा दुकानदारों द्वारा नियमों की अवहेलना कर बरामदों में किए गए कब्जों, दो दुकानों को बिना मंजूरी के एक करना, अतिरिक्त निर्माण करने पर भी अब कार्रवाई होगी।

दुकान के मालिकाना हक के लिए बकाया क्लीयर करना जरूरी

निगम के 691 किरायेदारों ने मालिकाना हक लेने के लिए आवेदन दिया हुआ है। इससे पहले उन्हें अपना बकाया क्लीयर करना पड़ेगा। दिसंबर 2020 से पहले तक का अगर किसी का बकाया रिकार्ड में रहेगा तो उसे मालिकी का अधिकारी लेने में भी दिक्कत आएगी। निगम द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद आवेदन करने वालों को भी डर सताने लगा है कि कहीं वे डिफाल्टर कैटेगरी में न आ जाएं और उनकी सालों की मेहनत बेकार न हो जाए। निगम के किरायेदार समय पर अपना बनता टैक्स जमा करवाएं।

एस्टेट विभाग को डिफाल्टर किरायेदारों पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। उसी कड़ी में लंबे समय से किराया जमा न करवाने वालों को नोटिस जारी किए गए हैं। किराया जमा न करवाए जाने की सूरत में निगम कार्रवाई को विवश होगा। वैसे ही जिन लोगों ने मालिकाना हक लेना है, उनका बकाया क्लीयर होना जरूरी है। कर्मजीत सिंह रिंटू, मेयर


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