पंजाब जहरीली शराब कांड: घर-घर व खेतों में शराब की भट्ठियां, आंसुओं व विरोध में में दिखा पछतावा
ग्राउंउ रिपोर्ट पंजाब में जहरीली शराब से दो दिन मेें 49 लोगों की मौत से हड़कंप है। अमृतसर के मुच्छल गांव में घर-घर व खेतों में शराब की भट्ठियां हैं।
अमृतसर, [नवीन राजपूत/सुखविंदर बावा]! कोविड काल में लगे कर्फ्यू के बाद नशा व अवैध शराब मिलनी कम हुई तो लोगों ने घरों में देसी शराब बनाने की भट्ठियां लगा ली। पहले ये भट्ठियां अकसर दरिया या छप्पड़ों के किनारे अथवा खेतों में लगती थी। पुलिस से छिप छिपाकर इनसे शराब निकाली जाती थी और पूरे गांव में तस्कर पैसे लेकर इसे बांटते थे लेकिन इस बार खेतों के साथ-साथ हर दसवें घर में शराब की भट्ठियां लग गईं हैं।
मौतों के बाद भूमिगत हुए मुच्छल और आसपास के गांवों से नशा तस्कर
भट्ठियों के बारे में गांव के दूसरे लोगों को भी पता है, पुलिस को भी शिकायत की गई थी लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। अब एक साथ इतनी मौतें हो जाने के बाद तस्कर भट्ठियों के साथ गायब हो गए हैं और लोग विरोध जताने लगे हैं। उनके विरोध व आंसुओं में पछतावा साफ झलक रहा हैं।
पकड़ी गई बलविंदर कौर 15 साल से कर रही थी अवैध शराब का कारोबार
शुक्रवार को दैनिक जागरण की टीम ने गांव का दौरा किया तो लोगों ने बताया कि घरों में ही भट्ठियां लगा शराब निकाली जाती है। लोगों के पास काम नहीं था, इसलिए वे इसी जुगत में लगे रहे और शराब बनाने लगे। पकड़ी गई शराब तस्कर बलङ्क्षवदर कौर पिछले 15 साल से घर में ही शराब निकाल रही थी। पुलिस ने कुछ एक बार उसे पकड़ा था लेकिन कार्रवाई की बजाय चेतावनी देकर छोड़ दिया। उस पर कार्रवाई न होते देख बाकी गांववासियों व तस्करों का साहस भी बढ़ गया।
लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोई गुड़ तो कोई फ्रूट और ड्राइफ्रूट की तकनीक से शराब बना रहा था। जिनके पास संसाधन नहीं थी उन्होंने जानलेवा अल्कोहल बेस्ड शराब बनानी शुरू कर दी। सभी मरने वाले गरीब परिवारों से संबंधित थे, अकसर वे सस्ती शराब खरीदकर ही नशे की लत को पूरा करते थे। लोगों ने बताया कि बलङ्क्षवदर कौर जैसी दर्जनभर और महिलाओं ने अपने घरों में शराब की भ_ी के साथ-साथ अल्कोहल के ड्रम रखे हैं। इस बात से पुलिस मुलाजिम भी परिचित हैं। बावजूद अवैध शराब का कारोबार करने वालों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
मौतों के बाद शराब का अवैध रूप से कारोबार करने वाली महिलाएं घर से गायब
लोगों ने बताया कि गांव मुच्छल दो दिनों में हुई 11 लोगों की मौत के बाद शराब का धंधा करने वाली महिलाएं अपने घरों से गायब हैं। यही नहीं उनके घरों में रखी गई भट्ठियां और लाहन के ड्रम भी आनन-फानन में उठाकर किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिए गए हैं। महिलाओं और उनके परिवारों को गांव के लोगों ने कई बार समझाने का प्रयास भी किया था कि वह जो कारोबार कर रहे हैं, वो उन्हें ही एक दिन ले डूबेगा। आज यही हुआ, उनकी निकाली शराब ही उनके अपनों की जान ले गई।
अमृतसर, तरनतारन और बटाला में पहले भी पकड़ी जाती रही है शराब
अमृतसर, बटाला और तरनतारन में पहले भी घरों में शराब निकाली जाती रही है। बॉर्डर के साथ लगी यह बेल्ट काफी लंबी है। समाज में रुतबा रखने वाले लोग तो अंग्रेजी शराब खरीदकर पी लेते हैं लेकिन गांवों में रहने वाले गरीब लोग अकसर घरों में शराब निकालकर पीते है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में तस्कर भी सक्रिय हो गए और उन्होंने सस्ती शराब निकालकर लोगों में बेचनी शुरू कर दी। हालांकि तीनों जिलों में हुई 49 मौत का आपस में ठोस कनेक्शन सामने नहीं आया लेकिन सब जगह यह बात जरूर सामने आई कि ये लोग घरों या खेतों में रखी शराब की अवैध भट्ठियों से निकली शराब के आदी थे।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल : नहीं रुक पा रही शराब की तस्करी
शराब चाहे अंग्रेजी हो या घरों में निकाली जाने वाली, पुलिस इस अवैध कारोबार को रोकने में पूरी तरह से असफल रही है। साल 2018 में अमृतसर सीआइए स्टाफ ने शराब के बड़े कारोबारी को अवैध शराब के ट्रक सहित गिरफ्तार किया था। आरोपित जमानत पर है। इसके अलावा अमृतसर देहाती ही नहीं बल्कि अमृतसर पुलिस कमिश्नरेट में भी घर में निकाली जा रही शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। पुलिस कभी दस-12 बोतल शराब पकड़कर एफआइआर दर्ज कर देती है लेकिन बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जा रहा।
पुलिसवाले भी मुच्छल गांव की देसी शराब के शौकीन
ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहर में कई बड़े आयोजनों के दौरान देसी शराब के चाहवान भट्ठी लगाते है। अवैध रूप से शराब को निकाला जाता है और उन्हें मेहमानों में भी परोसा जाता है। मुच्छल गांव के लोगों ने बताया कि कई पुलिस अधिकारी भी घर की बनी अच्छी शराब के शौकीन हैं और यहां से ऑर्डर पर बनवाकर उसका सेवन करते हैं।