रात के अंधेरे में जली आत्मसम्मान की लौ, समाज को दिया संदेश
शहर में रात में कुछ लड़कियां बाहर निकली और सड़क पर विचरण करने लगीं। उन्होंने विरोधस्वरूप यह किया और नारी सुरक्षा के मुद्दे को उठाया।
जेएनएन, अमृतसर। स्वतंत्र भारत में नारी आज भी अपना अस्तित्व तलाश रही है। हालांकि घर की दहलीज से निकलकर महिलाएं देश के शीर्ष पदों पर विराजमान हैं, परंतु छेड़छाड़, दुष्कर्म व हिंसा आदि घटनाएं उन्हें सम्मानपूर्वक जीने नहीं देती।
चंडीगढ़ की वर्णिका कुंडू ने जिस प्रकार बहादुरी से अपने साथ हुई घटना के खिलाफ आवाज उठाई, ठीक वैसे ही हम महिलाएं भी रात को घर से निकलकर लोगों से यह पूछना चाहती हैं कि आखिर हम असुरक्षित क्यों हैं? रविवार की रात अमृतसर के कचहरी चौक में कुछ गृहिणियां घरों से बाहर निकलीं और सड़क पर विचरण करने लगीं। इन महिलाओं का नेतृत्व कर रही पुतलीघर निवासी अलका शर्मा ने बताया कि वर्णिका कुंडू के मामले ने समाज के सामने बड़ा सवाल खड़ा किया है।
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यदि कोई लड़की या महिला रात को घर से बाहर निकलती है और उसके साथ कुछ अप्रिय होता है तो समाज यही पूछता है कि इतनी रात को बाहर क्या कर रही थी। क्या लड़कियों को रात के समय घर से बाहर निकलने का अधिकार नहीं। केवल पुरुष समाज ही जहां चाहे जब चाहे जा सकता है? इसे चुनौती देने के लिए हम महिलाएं रात को नौ बजे से बारह बजे तक घर से बाहर रहीं। इस दौरान वह स्वच्छंद होकर सड़कों पर घूमीं।
अल्का शर्मा के अनुसार उनका मकसद राजनीति से प्रेरित नहीं था और न ही वे किसी तरह का रोष-प्रदर्शन कर रही हैं। वह केवल यही पूछना चाहती हैं कि आखिर महिलाएं रात को घर से बाहर क्यों नहीं निकल सकतीं? समाज को अपनी संकीर्ण सोच बदलनी होगी। ये सड़कें और गलियां पुरुषों के लिए आरक्षित नहीं हैं, महिलाएं भी रात को यहां आ जा सकती हैं। समाज में महिलाएं भी देर रात तक ऑफिस में काम करती हैं। उन्हें रात को घर जाना पड़ता है। किसी अनहोनी के डर से क्या वे बाहर निकलना छोड़ दें?
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रात तकरीबन बारह बजे ये महिलाएं सड़क पर घूमती रहीं। इस दौरान रास्ते से गुजर रहे लोग उन्हें देखते और बिना कुछ पूछे आगे निकल जाते। असल में इन महिलाओं ने रात के अंधेरे में आत्मसम्मान की लौ जलाकर समाज को सकारात्मक संदेश दिया है।