'कानक' ने रोकी नानक की रिहाई
पाकिस्तान में 14 वर्ष का 'वनवास' काट कर गीता वतन लौट आई। पिछले 15 वर्षों से भारतीय जेल में बंद रमजान को पाकिस्तान भेजने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लेकिन, 30 वर्ष पूर्व रावी दरिया के साथ सटे गांव बेदी छन्ना का मासूम नानक सिंह सीमा पार चला गया था।
अमृतसर [अशोक नीर]। पाकिस्तान में 14 वर्ष का 'वनवास' काट कर गीता वतन लौट आई। पिछले 15 वर्षों से भारतीय जेल में बंद रमजान को पाकिस्तान भेजने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लेकिन, 30 वर्ष पूर्व रावी दरिया के साथ सटे अजनाला सेक्टर के गांव बेदी छन्ना का एक मासूम नानक सिंह गलती से सीमा पार कर गया था। वह घर लौटे, इसके लिए न तो विदेश और न ही गृह मंत्रालय गंभीरता से कदम उठा रहा है। नानक सिंह के मां-बाप आज भी लाडले का इंतजार कर रहे हैं।
पाकिस्तान से आई सूची में नानक सिंह की जगह कानक सिंह लिखने के नहीं रिहाई
वर्ष 1999 में पुलिस थाना रमदास में पाकिस्तान की जेलों में बंद 145 भारतीयों की सूची लेकर एक कैदी रतन सिंह आया था। सूची में 71 नंबर पर नानक सिंह का नाम दर्ज था। टाइपिंग की गलती के चलते नानक सिंह के स्थान पर कानक सिंह लिख दिया था। 'न' के बदले 'क' लिखने से गुमशुदा की तस्दीक पुलिस विभाग नहीं कर पाया, जबकि गांववासियों ने पुलिस को तफ्तीश के दौरान बताया था कि कानक सिंह नामक कोई भी व्यक्ति गांव से लापता नहीं हुआ। नानक सिंह लापता हुआ है, जिसे कानक सिंह कहा जा रहा है।
इसके बाद पुलिस को जानकारी मिली कि विदेश मंत्रालय द्वारा नानक सिंह के स्थान पर जो कानक सिंह की सूची मिली है, उसमें शब्द की गलती हुई है।
30 वर्ष पहले खेतों में काम करते पाकिस्तान चला गया था नानक
नानक सिंह के पिता रतन सिंह ने बताया कि उनका बेटा वर्ष 1985 में भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक एक जमींदार के खेतों में काम करने गया था। जमींदार उसे बैलों के पास बिठाकर सुहागा लेने चला गया। जब वह लौटा तो नानक सिंह वहां नहीं था। उसने उसे दरिया के आसपास सरकंडों में ढूंढा, परंतु वह कहीं नहीं मिला।
उसने बताया कि दूसरे दिन सीमा सुरक्षा बल को इसकी जानकारी दी गई। बल के तत्कालीन अधिकारियों ने पाकिस्तानी रेंजरों के साथ गुमशुदगी पर बैठक की। रेंजरों ने सीमा के साथ सटे पाकिस्तानी गांवों में मुनादी करवाई। दो माह बाद पाकिस्तानी रेंजरों ने इस बारे में चुप्पी साध ली।
नानक सिंह इस समय कोट लखपत जेल में बंद है। बचपन व जवानी को जेल की सलाखों में खो चुके नानक सिंह को कुख्यात अपराधियों की तरह जेल में बंद रखा हुआ है। उसके पिता ने आग्रह किया है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान सरकार से बातचीत कर उसके बेटे को रिहा करवाए।
वहीं इतिहासकार सुरिंदर कोछड़ ने नानक सिंह की रिहाई को लेकर उसके बचपन की फोटो के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ईधी फाउंडेशन को नानक सिंह की रिहाई के लिए वैसे ही प्रयास करने चाहिए जैसे उन्होंने गीता को भारत भेजने के लिए किए हैं।