भारत-पाक व्यापारः पाकिस्तान को नहीं भाती भारतीय सब्जियां, भैंस के मांस की है डिमांड
पाकिस्तानी लोगों को भारतीय सब्जियां और फल पसंद नहीं, मगर यहां की भैंसों का मांस खूब भाता है।
जेएनएन, अमृतसर। पाकिस्तानी लोगों को भारतीय सब्जियां और फल पसंद नहीं, मगर यहां की भैंसों का मांस खूब भाता है। यही कारण है कि भारत-पाक के बीच 124 वस्तुओं का करार होने के बावजूद पाकिस्तान इधर से सिर्फ भैसों का मांस या कॉटन आदि ही मंगवाता है, जबकि उधर से जिप्सम, सीमेंट और ड्राई फ्रूट समेत बड़ी मात्रा में रॉक साल्ट, शीशा और रॉ एलुमिनियम भारत को भेजता है। पाक ने प्लांट कुआर्टीन एक्ट के तहत इंडिया की पेरिशेबल चीजें जैसे सब्जियों और फलों आदि पर रोक लगा रखी है।
बता दें, भारत की तरफ से सिर्फ कॉटन व इसका धागा, प्लास्टिक दाना और भैंस का मांस ही पाकिस्तान को भेजा जा रहा है, जबकि पाक की ओर से इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट (आइसीपी) अटारी के जरिए जिप्सम, सीमेंट, ड्राई फ्रूट, ताजे फल और सब्जियां, रॉक साल्ट, पूरानी ट्यूबें, पनीर डोडी, कत्था, शीशा, सोडा, कच्चा एलुमिनियम, चूना, गूगल, अजवायन, मुलेठी, रतन जोत और मूंग की दाल आदि भारी मात्रा में भेजी जाती हैं।
आइसीपी अटारी की जानकारी के मुताबिक भारत की तरफ से आइसीपी के जरिए रोजाना 5 से 10 ट्रक ही पाक भेजे जा रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ पाक अलग-अलग चीजों के करीब 150 ट्रक भारत भेज रहा है।
भारत-पाक के बीच व्यापार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि पाक सेहत मंत्रालय की तरफ से प्लांट कुआर्टीन एक्ट 1976 के तहत उनके कस्टम विभाग ने भारतीय पेरिशेबल वस्तुओं जैसे ताजी सब्जियों और फलों में कीड़े होने का कारण बताते हुए इन चीजों को मंजूरी सर्टीफिकेट देने से इन्कार किया है। इनमें हरी सब्जियों के अलावा आलू, प्याज, टमाटर, लहसुन, बीज और सोयाबीन आदि शामिल हैं। हालांकि वे चीजें पिछले 20 सालों से भारत से पाक को भेजी जा रही थी और उनमें कभी कोई खराबी सामने नहीं आई।
इसे लेकर ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के प्रधान अनिल मेहरा का कहना है कि पाक सरकार की गलत नीतियों के चलते भारत की तरफ से किया जाने वाला निर्यात लगभग समाप्ति के कगार पर पहुंच चुका है। वहीं दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि दोनों देशों में कारोबार को लेकर आयात-निर्यात संबंधी हुए समझौते के चलते 124 चीजों का कारोबार करने की मंजूरी दोनों देशों के व्यापारियों को दी थी, जबकि पिछले लंबे समय से इंडो-पाक के बीच 16-17 चीजों का ही बड़े स्तर पर आयात-निर्यात हो रहा है।