Move to Jagran APP

स्वधीनता संग्राम : 102 साल बाद जलियांवाला बाग के शहीदों को मिली पहचान

शहीदों की बदौलत मिली आजादी से हर कोई गौरवान्वित है। विडंबना तो यह है कि शहीदों ने शहादत देकर अपना फर्ज तो पूरा कर दिया पर अफसोस कि उनकी शहादत को ही पहचान देने में वर्षो लग गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 07:00 AM (IST)
स्वधीनता संग्राम : 102 साल बाद जलियांवाला बाग के शहीदों को मिली पहचान

जागरण संवाददाता, अमृतसर : शहीदों की बदौलत मिली आजादी से हर कोई गौरवान्वित है। विडंबना तो यह है कि शहीदों ने शहादत देकर अपना फर्ज तो पूरा कर दिया, पर अफसोस कि उनकी शहादत को ही पहचान देने में वर्षो लग गए। शहीद स्थली जलियांवाला बाग का नाम जहन में आते ही हर किसी का सिर सम्मान से झुक जाता है, पर जलियांवाला बाग नरसंहार में 13 अप्रैल 1919 को शहीद हुए लोगों की शहादत को पहचान मिलने में ही 102 साल लग गए। साल 2021 में पंजाब सरकार ने शहीद हुए लोगों के नाम सार्वजनिक किए और उन्हें आनलाइन करते हुए स्मारक में उनके नाम दर्ज करने की कवायद शुरू की। 15 अगस्त 2021 को हम स्वधीनता के 75 साल मनाने जा रहे हैं। ऐसे में देश की आजादी में अहम भूमिका अदा करने वाले जलियांवाला बाग को भुलाया नहीं जा सकता। पूरी दुनिया में शहीदों की याद का यह एक पवित्र स्मारक है। जनरल डायर की क्रूरता के निशान आज भी बाग जिदा

loksabha election banner

13 अप्रैल 1919 को शांतमयी सभा कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों पर जनरल डायर ने गोलियां चलवा दी थी। इस कारण इस बाग की गोद में सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानी सदा के लिए गहरी नींद में सो गए। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और देश की आजाद करवाने के लिए हर किसी का खून खोल उठा था। देश की आजादी में जलियांवाला बाग नरसंहार ने अहम भूमिका अदा की। स्मारक में शहीद हुए लोगों और डायर की क्रूरता की निशानियां आज भी गवाही दे रही हैं। फिर चाहे वह शहीदी कुआं हो या फिर दीवारों पर लगे गोलियों के निशान। बाग की गोद आज भी शहीद हुए अपने वीर सपूतों की याद अपने-आप में संजोए हुए है। पहचान के लिए भी लड़नी पड़ी लड़ाई: मनीश खन्ना

दिल्ली के रहने वाले मनीश खन्ना के दादा लाला राम जस्स मल भी जलियांवाला बाग में शहीद हो गए थे। मनीश ने कहा कि जलियांवाला बाग में सैकड़ों लोग शहीद हो गए थे। मगर आज तक उन लोगों की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया था। 102 साल बाद सरकार ने इन शहीदों की याद में अमृत आनंद पार्क में स्मारक बनाने और वहां पर सभी के नाम लिखवाने का फैसला किया है। शहीदों की पहचान को सार्वजनिक किया जाना, एक प्रशंसनीय कदम है। इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी है। 3.50 करोड़ रुपये में तैयार होगा शहीदों की स्मारक

अमृत आनंद बाग में स्मारक का निर्माण करवाया जाना है। इसमें पांच स्फेद मार्बल के पिल्लर बनाए जाने हैं जो आकाश की तरफ बढ़ते हुए दिखाई देंगे। यह अलग-अलग ऊंचाई के बनेंगे जो शहीद हुए बच्चों, नाबालिग, जवान, अधेड़ आयु और बुजुर्गो को समर्पित होंगे। ऐसा प्रतीत होगा कि देश के लिए मर मिटने वालों की कोई आयु सीमा नहीं होती। यह पिल्लर आसमान की तरफ पांच अंगुलियों का इशारा होगा जो हाथ की शक्ति को दर्शाएगा। इसके अलावा स्मारक के ईर्द-गिर्द स्लैब बनाई जानी है जिस पर शहीदों के नाम लिखे जाएंगे। चारों तरफ खूबसूरत लैंड स्केपिग होगी, जो इसकी सुंदरता को चार चांद लगाएगी। यह प्रोजेक्ट पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से तैयार किया जा रहा है। इस पर 3.50 करोड रुपये खर्च होने है। मई अंत प्रोजेक्ट का काम पूरा किया जाना है। जलियांवाला बाग शताब्दी यादगारी स्मारक

-रणजीत एवेन्यू के अमृत आनंद बाग में बनेगा

-4490 वर्ग मीटर एरिया में होगा निर्माण

-3.52 करोड़ लागत आएगी

-शहीदों के रिश्तेदारों, पंच, सरपंचों, पार्षदों द्वारा लाई गई गांव, घर की मिट्टी इसका हिस्सा बनेगी।

-15 अगस्त 2021 तक स्मारक तैयार हो जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.