चीन से आए 150 लोगों पर सेहत विभाग की नजर, 28 दिन तक करेगा निगरानी
। केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है कि वे चीन से आने वाले लोगों पर कम से कम 28 दिन तक नजर रखें।
नितिन धीमान, अमृतसर
वैश्विक स्तर पर खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस की भारत में दस्तक के बाद केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है कि वे चीन से आने वाले लोगों पर कम से कम 28 दिन तक नजर रखें। पूर्व में चीन से आने वाले शख्य की 14 दिन तक निगरानी की जा रही थी। अमृतसर स्थित श्री गुरु रामदास अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पिछले डेढ़ माह में 150 वे लोग आए हैं जो चाइना से संबंधित हैं। इनमें से अधिकांशत: चीन के नहीं, पर जिस विमान सेवा से वे भारत पहुंचे, वह कुछ समय के लिए चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर कुछ समय के लिए रुकी थी।
दरअसल, पंजाब में कोरोना वायरस का कोई मरीज रिपोर्ट नहीं हुआ है। चीन से अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुचे आधा दर्जन लोगों एहतियात के तौर पर आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया था। इनके रक्त एवं गले से थ्रोड स्वैब के सैंपल लेकर जांच के लिए नेशनल वॉयरोलॉजी लैब पुणे भेजे गए। जांच रिपोर्ट में इन्हें कोरोना की पुष्टि नहीं हुई।
अमृतसर में इसी माह तीन वर्षीय बच्चे की मौत हुई थी। यह पहला मामला था जब स्वास्थ्य विभाग को लगा कि कहीं बच्चा कोरोना वायरस संक्रमित न हो। बच्चे का सैंपल पुणे भेजे गए, जहां मौत की वजह स्वाइन फ्लू बताई गई थी।
सिविल सर्जन डॉ. प्रभदीप कौर जौहल के अनुसार हमने टीमें बना दी हैं, जो चीन से आने वाले लोगों के घर जाकर उनकी नियमित जांच कर रही हैं। अमृतसर सहित पूरे पंजाब में कोरोना वायरस का कोई केस नहीं है। चीन से आने वाले हर नागरिक की अमृतसर एयरपोर्ट पर थर्मल स्केनर से जांच हो रही है। खांसी, जुकाम अथवा बुखार का शिकार मरीजों के सैंपल नेशनल लैब भेजकर उन्हें आइसो कोरोना से लड़ने में सक्षम नहीं आइसोलेशन वॉर्ड
स्वास्थ्य विभाग 'कोरोना से डरो ना' का नारा लगा रहा है। शुक्र है अभी कोरोना वायरस का अमृतसर में असर नहीं, पर यह भी सच है कि यदि कोरोना वायरस संक्रमण का शिकार मरीज रिपोर्ट हुआ तो स्वास्थ्य विभाग के पास औपचारिकताएं निभाने के सिवाय और कुछ नहीं होगा। कोरोना वायरस का शिकार मरीज यदि रिपोर्ट होता है तो उसे आइसोलेशन वॉर्ड में रखकर उपचार देने की स्वास्थ्य विभाग ने बात कही है। आइसोलेशन वॉर्ड्स को पूरी तरह तैयार करने का दावा भी किया है, पर वास्तविक स्थिति यह है कि जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड नियमानुसार नहीं है। सिविल अस्पताल स्थित इस वॉर्ड को वायरस की आहट से कभी डेंगू वॉर्ड, कभी स्वाइन फ्लू वॉर्ड और कभी इंबोला वार्ड का नाम दे दिया जाता हैं। इस आइसोलेशन वार्ड में छह बेड और मच्छरदानियों के सिवाय और कुछ नहीं। वायरस जनित बीमारियों का शिकार मरीजों को बचाने के लिए आइसोलेशन वॉर्ड में डॉक्टरों की बड़ी टीम, वेंटीलेर्ट्स इत्यादि होने चाहिए, ताकि हालत बिगड़ने पर मरीज को तत्काल आइसोलेट किया जा सके। ऐसी ही स्थिति जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की है।