सेहत विभाग की लापरवाही, 39 दिनों में 80 कोरोना संक्रमित मिले, संपर्क में आने वाले सिर्फ 40 फीसद ही ढूंढे
अमृतसर जिले में भी रोजाना संक्रमित आ रहे हैं और अभी तक एक्टिव केस 12 पहुंच चुके हैं।
नितिन धीमान, अमृतसर: इस समय देश के कई राज्यों में अभी भी कोरोना के काफी मामले आ रहे हैं। अमृतसर जिले में भी रोजाना संक्रमित आ रहे हैं और अभी तक एक्टिव केस 12 पहुंच चुके हैं। चिंता की बात यह है कि ये अभी भी शून्य पर नहीं आए हैं। वहीं सेहत विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमानुसार कांटेक्ट ट्रेसिग न किए जाने की वजह से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।
ऐसे में आप सावधान रहें, कहीं आपके आसपास कोरोना संक्रमित घूम रहा हो सकता है। बेशक उसे खुद भी न पता हो कि वह संक्रमण की चपेट में है। बुखार होने की सूरत में ज्यादातर लोग सीधे केमिस्टों से दवाएं ले रहे हैं। यह बुखार कोरोना संक्रमण भी हो सकता है।
निश्चित ही वायरस का प्रकोप कम हुआ है और लोगों में इसकी दहशत भी कम हो गई है, पर अभी खतरा टला नहीं है। इस वायरस की सक्रियता व निष्क्रियता का अंदाजा लगाना खतरनाक है। पहली व दूसरी लहर के समाप्त होने के बाद तीसरी लहर का संभावित खतरा बरकरार है। हैरानीजनक पहलू यह है कि कोरोना के कमजोर होने के साथ स्वास्थ्य विभाग भी शिथिल नजर आ रहा है। विभाग के आंकड़ों से कांटैक्ट ट्रेसिग भी कोरोना की तरह कमजोर पड़ चुकी है। कांटेक्ट ट्रेसिग से अभिप्राय एक कोरोना संक्रमित रिपोर्ट होने पर उसके संपर्क में आने वाले करीब 20 लोगों को तलाश कर उनका कोरोना टेस्ट करवाना है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग का आइडीएसपी (इटेग्रेटिड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम) विभाग दो से तीन लोगों को ही तलाश रहा है। वहीं इस पर सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि कांटैक्ट ट्रेसिग टीम को बुलाकर स्पष्टीकरण मांगेंगे। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। इस तरह समझें कांटैक्ट ट्रेसिंग का गणित
दरअसल, 28 सितंबर के बाद यानी करीब 39 दिनों से विभाग की टीमें सायलेंट मोड में नजर आ रही हैं। 28 सितंबर से अब तक 80 लोग कोरोना संक्रमित रिपोर्ट हुए। इस अनुपात में करीब 1600 लोगों को तलाश कर उनका कोरोना टेस्ट करवाना अनिवार्य था, पर विभाग की सुस्त टीमों ने औसत 40 फीसद लोगों को ही तलाश किया। उदाहरण के तौर पर दो नवंबर को जिले में पांच संक्रमित मिले थे। नियमानुसार 75 से 90 कांटैक्ट ट्रेस करने थे, पर महज 37 लोगों को तलाशा गया। विभाग द्वारा जारी कोरोना सूची में एक संक्रमित के पीछे कांटैक्ट ट्रेसिग का प्रतिशत महज 12 है। आइडीएसपी विभाग में छह कर्मी, इनके काम पर नहीं हो रही निगरानी
सिविल सर्जन कार्यालय स्थित आइडीएसपी विभाग में एक एपिडिमोलाजिस्ट सहित करीब छह कर्मचारी कार्यरत हैं। सरकार ने कांटैक्ट ट्रेसिग के लिए इस विभाग के साथ आशा वर्करों और एएनएम को जोड़ा था। अफसोस है कि विभागीय अधिकारी तो कमरों से बाहर नहीं निकलते, वहीं आशा वर्करों व एएनएम से भी पूरी तरह कांटैक्ट ट्रेसिग न करने की वजह नहीं पूछ रहे हैं। सवा महीने बाद जिले में एक माइक्रो कंटेनमेंट जोन बना
करीब सवा माह बाद जिले में एक माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। एमएच-2 ब्यास अस्पताल में तीन मरीज रिपोर्ट होने के बाद इसे माइक्रो कंटेनमेंट घोषित किया गया। इससे पूर्व 28 सितंबर को ब्यास स्थित सुखचैन प्रिटिग प्रेस वाली गली केा माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाया गया था।