गेहूं खरीद में डिस्टेंस की नीति नहीं स्पष्ट: किसान संगठन
ोरोना वायरस को लेकर चल रहे कर्फ्यू को लेकर किसानों में अपनी गेहूं समय पर मंडियों में बेचने को लेकर भारी पशोपेश की स्थिति है। सरकार ने किसान संगठनों के साथ गेहूं की खरीद के लिए कोई सार्थक नीति फाइनल नहीं की है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : कोरोना वायरस को लेकर चल रहे कर्फ्यू को लेकर किसानों में अपनी गेहूं समय पर मंडियों में बेचने को लेकर भारी पशोपेश की स्थिति है। सरकार ने किसान संगठनों के साथ गेहूं की खरीद के लिए कोई सार्थक नीति फाइनल नहीं की है। किसान संगठनों में सरकार की कार्यप्रणाली के प्रति भारी रोष है।
जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष सतनाम सिह अजनाला और महासचिव रत्न सिंह रंधावा ने कहा कि सरकार ने चाहे भरोसा दिया है कि किसानों को गेहूं को मंडियों में लेकर आने में कोई मुश्किल नही आएगी परंतु सरकार कोई नीति स्पष्ट नहीं कर रही है। मंडियों में डिस्टेंस कैसे कायम रहेगा इस के लिए भी कोई योजना नहीं है। पिछले साल 1820 मंडियों में खरीद सेंटर बनाए थे, जिनमें 99 प्रतिशत मंडियों में साफ सफाई के सुयोग्य प्रबंध नहीं थे। इस बार भी सरकार ने मंडियों में कोई इंफ्रास्ट्रक्चर अपडेट नहीं किया है। सरकार किसानों को टोकन देने की योजना बना रही है। यह योजना सफल कैसे होगी, कुछ स्पष्ट नहीं है।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि किसानों को उनके बेचे गए गेहूं की पैसे किसानों के सीधे खातों में जमा होने चाहिए। बडे़ किसानों का गेहूं 30 अप्रैल के बाद खरीदा जाए तथा छोटे किसानों का गेहूं 15 अप्रैल से लेकर 5 मई तक खरीद जाए। लेट गेहूं लेकर आने वाले किसानों को प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस मिले। मंडियों में मेडिकल टीमें किसानों व मजदूरों के मेडिकल चेकअप के लिए तैनात की जाएं।