विटामिन-ए की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पताल
अमृतसर राज्य के सरकारी अस्पताल विटामिन-ए की कमी से जूझ रहे हैं। इन अस्पतालों में तरल रूप में मिलने वाली विटामिन-ए की शीशी एक माह से खत्म है।
— सिविल अस्पताल व गुरुनानक देव अस्पताल में नहीं हैं विटामिन-ए की दवाएं
— 10 से 15 आयु वर्ग के बच्चे विटामिन-ए की कमी का शिकार हो रहे हैं
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नितिन धीमान, अमृतसर
राज्य के सरकारी अस्पताल विटामिन-ए की कमी से जूझ रहे हैं। इन अस्पतालों में तरल रूप में मिलने वाली विटामिन-ए की शीशी एक माह से खत्म है। यह स्थिति मरीजों खासकर बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को यह कहकर लौटाया जा रहा है कि जल्द ही दवा उपलब्ध होगी, पर कब यह स्टाफ को भी मालूम नहीं।
दरअसल, दिसंबर 2018 में विटामिन-ए का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने नया स्टॉक नहीं भेजा। अमृतसर के सिविल अस्पताल, गुरुनानक देव अस्पताल व सभी ब्लॉकों में स्थित प्राइमरी हेल्थ सेंटरों तथा कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों सहित डिस्पेंसरियों में विटामिन-ए की एक शीशी भी उपलब्ध नहीं। सोमवार को गुरुनानक देव अस्पताल में अपने पांच वर्ष के बच्चे को लेकर पहुंची सुरजीत कौर ने डॉक्टर को दिखाया तो बताया गया कि बच्चे के शरीर में विटामिन-ए का लेवल निचले स्तर पर पहुंच चुका है। डॉक्टर ने तो पर्ची पर विटामिन-ए लिख दिया, पर अस्पताल में स्थित सरकारी डिस्पेंसरी में दवा नहीं मिली। ऐसी ही स्थिति सिविल अस्पताल सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों की है।
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि विटामिन-ए की से कई बीमारियों को आमंत्रण मिलता है। मसलन, बच्चों की आंखों की रोशनी कम हो जाती है, हड्डियों का विकास अवरुद्ध हो सकता है, वहीं बाल, नाखून और चमड़ी के विकास का क्रम धीमा पड़ जाता है। विटामिन-ए बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रखने में सहायी माना जाता है। किसी कारणवश यदि विटामिन-ए कम हो जाए तो इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से पिछड़ सकता है।
खास बात यह है कि दवा खत्म होने की जानकारी बार-बार वेरका स्थित वेयर हाउस को दी जा रही है, पर चंडीगढ़ से सप्लाई ठप होने की वजह से वेयर हाउस का स्टाफ भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
क्यों होती है विटामिन-ए की कमी
विटामिन-ए की कमी का शिकार ज्यादातर 10 से 15 आयु वर्ग के बच्चे होते हैं। कारण, पोषक आहार का सेवन न करना है। बच्चे जंक फूड का सेवन करते हैं, लेकिन हरी पत्तेदार सब्जियों को खाना नहीं चाहते। इस कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने विटामिन-ए को तरल रूप में शीशियों में पैक कर सरकारी अस्पतालों में भेजा था। अब जबकि दवा नहीं है तो लोग निजी मेडिकल स्टोर्स से महंगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोग तो दवा खरीद ही नहीं पा रहे। स्टॉक में होगी दवा : डॉ. रमेश पाल
स्वास्थ्य विभाग के इम्युनाइजेशन ऑफिसर डॉ. रमेश पाल ¨सह का कहना है कि हम दवा मंगवा रहे हैं। अधिकारियों से बात कर ली गई है। जल्द ही दवा स्टॉक में होगी। इन चीजों में होता है विटामिन-ए
सरकारी दवा न जाने कब आए, लेकिन यदि आपका बच्चा विटामिन-ए की कमी का शिकार है तो उसे गाजर, शकरकंद, पालक, खरबूज, आम, ब्रॉकोली, मटर, आड़ू और पपीता जैसे खाद्य पदार्थ दें। इससे बहुत कम समय में विटामिन ए का लेवल सामान्य हो जाएगा।