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व्यवस्थागत खामियां दूर करने में असफल रही सरकार, स्वास्थ्य केंद्र पीपीपी मोड पर देने को तैयार

अमृतसर शहरी आबादी की संकरी गलियों व दूरस्थ गांवों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे अर्बन कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर व प्राइमरी हेल्थ सेंटर जल्द ही निजी हाथों में चले जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:57 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:57 PM (IST)
व्यवस्थागत खामियां दूर करने में असफल रही  सरकार, स्वास्थ्य केंद्र पीपीपी मोड पर देने को तैयार
व्यवस्थागत खामियां दूर करने में असफल रही सरकार, स्वास्थ्य केंद्र पीपीपी मोड पर देने को तैयार

— यूसीएचसी, सीएचसी व पीएचसी को पीपीपी मोड में देने जा रही है सरकार

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— सरकार ने जारी किया विज्ञापन, सेहत सेवाएं होंगी महंगी, विरोध शुरू

— फोटो — 20

नितिन धीमान, अमृतसर

शहरी आबादी की संकरी गलियों व दूरस्थ गांवों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे अर्बन कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर व प्राइमरी हेल्थ सेंटर जल्द ही निजी हाथों में चले जाएंगे। पंजाब सरकार ने इन सेंटरों को पब्लिक पार्टनरशिप मोड के अंतर्गत संचालित करने का फैसला कर लिया है। यदि यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो इन सेंटरों का संचालक लगभग प्राइवेट कंपनी के हवाले हो जाएगा। संभावना है कि लोगों को सेहत सेवाएं हासिल करने के लिए मोटी कीमत भी चुकानी पड़े।

दरअसल, पंजाब सरकार ने प्रदेश के ज्यादातर यूसीएचसी, सीएचसी एवं पीएचसी को पीपीपी मोड पर देने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। जो लोग इन अस्पतालों का संचालन करना चाहते हैं उन्हें बाकायदा नीलामी देनी होगी। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो डॉक्टर निजी अस्पताल संचालित कर रहे हैं केवल वही आवेदन कर सकते हैं। सरकार ने आवेदन की अंतिम तिथि 4 फरवरी निर्धारित की है।

असल में पंजाब सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा इन स्वास्थ्य केंद्रों को पीपीपी मोड पर देकर इनकी व्यवस्थागत खामियां दूर करने की कोशिश की जा रही हैं। पीपीपी मोड में जाने के बाद इन केंद्रों में स्टाफ की नियुक्ति, रखरखाव का जिम्मा, मरीजों के उपचार की फीस भी निजी कंपनी ही वसूल करेगी। इससे एक बात साफ है कि स्वास्थ्य विभाग इन कमियों को दूर करने में असफल रहा है। विभाग को डॉक्टर नहीं मिल रहे। वहीं सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण भी खराब पड़े हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार अपने दम पर इन स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन करने में असमर्थ है?

पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज पीसीएमएस के प्रदेश अध्यक्ष गगनदीप ¨सह ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों से पल्ला झाड़कर सरकर अपनी जिम्मेवारी से हट रही है। लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना सरकार का जिम्मा है। वर्ष 2006 में पंजाब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों की भर्ती थी। सरकार का यह प्रयोग असफल रहा। सीएचसी व पीएचसी के निजी हाथों में चले जाने के बाद सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में कॉरपोरेट सेक्टर का कब्जा हो जाएगा। फैसले के विरोध में 22 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत पैरा मेडिकल स्टाफ की प्रदेश व्यापी हड़ताल है। एसोसिएशन भी इसका समर्थन करेगी। 24 जनवरी को चंडीगढ़ में बैठक बुलाकर इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।

यह होगा पीपीपी मोड का प्रारूप

पीपीपी मोड से स्वास्थ्य केंद्रों में भारी उथल-पुथल मच सकती है। मसलन, जो निजी कंपनी इनका संचालन करेगी, वह अपनी मर्जी के रेट फिक्स करेगी। उदाहरण के तौर पर इन केंद्रों में अब तक डिलीवरी सहित पांच वर्ष तक के बच्चों, कुष्ठ रोगियों, टीबी पेशेंट्स इत्यादि का निशुल्क उपचार होता है। निशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाए जाते हैं। लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी हर योजना की जानकारी दी जाती है। यदि यह निजी हाथों में चले गए तो इससे सरकारी हस्तक्षेप न के बराबर रहेगा।

कोट..

'सरकार का यह फैसला अनुचित है। इसके विरोध में पंजाब के समूह मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सांझा फोरम बनाई जा रही है। हम इसका तीखा विरोध करेंगे।''

— रणबीर ¨सह ढंडे,

अध्यक्ष मास मीडिया एसोसिएशन, स्वास्थ्य विभाग पंजाब। विज्ञापन देखकर जानकारी मिली : डीएमसी

स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी मेडिकल कमिश्नर डॉ. प्रभजोत कौर जौहल का कहना है कि उन्हें समाचार पत्र में छपे विज्ञापन से इसकी जानकारी मिली है। इससे ज्यादा वह कुछ नहीं जानतीं।


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