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ड्यूटी को ड्यूटी न समझने वाले डॉक्टर नपेंगे

अमृतसर : सरकारी अस्पतालों में कुछेक डॉक्टरों को छोड़ दें तो ज्यादातर डॉक्टर ड्यूटी को ड्यूटी की तरह नहीं निभाते।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 06:51 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 06:51 PM (IST)
ड्यूटी को ड्यूटी न समझने वाले डॉक्टर नपेंगे
ड्यूटी को ड्यूटी न समझने वाले डॉक्टर नपेंगे

जागरण संवाददाता, अमृतसर : सरकारी अस्पतालों में कुछेक डॉक्टरों को छोड़ दें तो ज्यादातर डॉक्टर ड्यूटी को ड्यूटी की तरह नहीं निभाते। सुबह निर्धारित समय से एक डेढ़ घंटा लेट आने की आदत ये डॉक्टर छोड़ नहीं पा रहे। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में तो स्थिति और भी गंभीर है। गांवों के अस्पतालों में ज्यादातर डॉक्टर ड्यूटी पर लेट आते हैं या फिर फरलो मार लेते हैं।

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ऐसे डॉक्टरों को सबक सिखाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अब सरकारी अस्पतालों में लगातार छापामारी की जाएगी। बुधवार को डिप्टी कमिश्नर कमलदीप ¨सह संघा ने स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की समीक्षा की। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. हरदीप ¨सह घई, डिप्टी डायरेक्टर डेंटल डॉ. शरणजीत कौर, जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. मदन मोहन के अलावा सभी मेडिकल ऑफिसर उपस्थित थे।

डीसी ने सभी डॉक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की हाजिरी सुनिश्चित बनाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। सरकारी डॉक्टरों को समय पर ड्यूटी पर आना जरूरी है, ताकि मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े। डीसी ने कहा कि ¨लगानुपात की दिशा में अपेक्षित सुधार लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में जागरूकता कैंप लगा जाएं। स्कूलों में बच्चों का मेडिकल चेकअप करने के लिए सिविल सर्जन प्रभावी कदम उठाएं।

डीसी ने बाल मजदूरी व बच्चों द्वारा भीख मांगने के मामले में ¨चता प्रकट करते कहा कि यह बहुत गंभीर और दुखद है। संबंधित अधिकारी सभी ट्रेड एसोसिएशनों के साथ मिलकर लोगों को जागरूक करें। दुकानदारों व कारोबारियों को चेतावनी दी जाए कि वे बच्चों से बाल मजदूरी व भीख न मंगवाएं। भीख मांगने वाले बच्चों के अभिभावकों को समझाया जाए। साथ ही इन परिवारों को परिवार नियोजन संबंधी जानकारी दी जाए।


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