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130 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी गोल्डन टेंपल मेल, छह घंटे जल्दी पहुंचेंगे मुंबई

अमृतसर से मुंबई तक चलने वाली गोल्डन टेंपल मेल ट्रेन (02903-04) में अब सफर और भी आरामदायक होने जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 06:00 AM (IST)
130 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी गोल्डन टेंपल मेल, छह घंटे जल्दी पहुंचेंगे मुंबई

विक्की कुमार, अमृतसर : अमृतसर से मुंबई तक चलने वाली गोल्डन टेंपल मेल ट्रेन (02903-04) में अब सफर और भी आरामदायक होने जा रहा है। अब यह ट्रेन 29 मई से एलचएबी (लिक हाफमैन बुश) कोच के साथ मुंबई के लिए रवाना होगी। अभी तक इसमें आइसीएफ कोच लगे हैं। कोच बदलने के बाद इस ट्रेन की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी। एलएचबी कोच के साथ चलने पर इस ट्रेन में कुल 22 कोच होंगे। जिन ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाए गए हैं उन्हें 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाने लगा है। एलएचबी कोच हाई स्पीड क्षमता का होता है। कोच एंटी क्लाइंबिग होता है यानी दुर्घटना होने पर एलएचबी कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। एलएचबी कोच का वजन आईसीएफ कोच से कम होता है। वहीं रेलवे ने अब इस ट्रेन का समय भी बदल दिया है। अमृतसर से यह ट्रेन पहले 9.25 बजे रवाना होती थी, अब 29 मई से यह ट्रेन अमृतसर से शाम सात बजे रवाना होगी। ट्रेन को एलएचबी कोच लगने के बाद ट्रेन की जहां स्पीड बढ़ जाएगी, वहीं करीब छह घंटे का सफर भी कम हो जाएगा। इससे यात्री के समय की भी बचत होगी। बता दें कि मुंबई से यह ट्रेन 27 मई को अमृतसर के लिए रवाना होगी। इसके बाद अमृतसर से 29 मई को एलएचबी कोचो के साथ रवाना हो जाएगी। एलएचबी कोच की यह है खूबियां

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- ज्यादा स्पेस है और सीटें आरामदायक है जिससे यात्री आराम से पैर फैलाकर सीट पर बैठ व लेट सकता है।

- यह कोच पारंपरिक कोच की तुलना में डेढ़ मीटर लंबे हैं।

- बड़ी खिड़किया है। बायो टायलेट्स व सामान रखने की अधिक स्पेस है।

- एलएचबी कोच में दो डिब्बे अलग तरह से कपलिग किए जाते है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते।

इसमें एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम भी होता है, जिससे डिब्बे आसानी से पटरी से नहीं उतर पाते।

- एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेनलेस स्टील और एल्यूमिनियम के बने होते है। इसमें डिस्क ब्रेक सिस्टम होता है, जिससे ट्रेन को जल्दी रोका भी जा सकता है।

- यदि दुर्घटना हुई तो यह कोच पारंपरिक कोच के मुकाबले कम क्षतिग्रस्त होते है। इनकी सेल्फ लाईफ भी पारंपरिक कोच के मुकाबले ज्यादा होती है।

- एलएचबी कोच माइक्रोप्रोसेसर से कंट्रोल होता है। इसमें एयर कंडीश्निग सिस्टम होता है, जो कोच के तापमान को नियंत्रित करता है। इससे ट्रेन सुरक्षित रहती है।

- लंबे कोच होने के कारण ट्रेन की यात्री वहन की क्षमता बढ़ती है। मतलब ज्यादा यात्री भी सफर कर सकते है।


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