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ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कौम के नाम संदेश, सिख कौम को इतिहास अध्ययन की जरूरत

श्री गुरु हरिगोबिद साहिब जी का बंदी छोड़ दिवस श्री हरिमंदिर साहिब में भक्तिभाव और उत्साह के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 06:58 PM (IST)
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कौम के नाम संदेश, सिख कौम को इतिहास अध्ययन की जरूरत

जासं, अमृतसर : श्री गुरु हरिगोबिद साहिब जी का बंदी छोड़ दिवस श्री हरिमंदिर साहिब में भक्तिभाव और उत्साह से मनाया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में संगत ने श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेका। श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कौम के नाम संदेश जारी किया। इस दौरान श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिद सिंह लोंगोवाल, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर, दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह धुम्मा, शिरोमणि बुड्ढा दल के मुखी बाबा बलबीर सिंह ने भी संगत के साथ विचार सांझा किए। रात्रि को संगत की ओर से दीपमाला की गई और हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में एसजीपीसी व संगत की ओर से संकेतिक आतिशबाजी भी की गई। जत्थेदार अकाल तख्त साहिब का कौम के नाम संदेश

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श्री हरिमंदिर साहिब की ड्योढी से संदेश जारी करते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि आज सिख कौम को इतिहास अध्ययन बुद्धी के साथ करने की जरूरत है। गुरु साहिब में मानावाधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर आवाज उठाई। जरूरत पड़ने पर शहदातें भी दी। छठे गुरु साहिब ने मीरी पीरी की परंपरा के अनुसार भक्ति के साथ शक्ति को भी विशेष अहमियत दी। उन्होंने मौजूदा समय में कौम को आ रही चुनौतियों का गुरमति की रोशनी में मुकाबला करने का आह्वान किया। कहा कि सिख व खास कर युवा पीढ़ी को अपनी जिम्मेवारी के अहसास के प्रति चेतन होना चाहिए। इस अहसास के प्रति जिम्मेवारी और भी बढ़ जाती है जब जब देश के अंदर दोबारा धर्म, भाषा, राजनीति, आर्थिकता, शिक्षा और सभ्याचार को खत्म करने की कोशिशें हो रही हो। जब देश में समानता लाने के नाम पर जुल्म व भेदभाव वाली लहर तेज हो रही हो। अल्पसंख्यकों, अनुसूचित वर्गो और आदि वासियों समेत हर आम नागरिक को बोलने, पढ़ने व लिखने के अधिकार को छीना जा रहा हो। असहमति की आवाज को राजसी शक्ति के साथ दबाया जा रहा हो। नए नए काले कानून लागू करके बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों को जेलों में बंद किया जा रहा हो तो चिता और भी बढ जाती है। 35-35 वर्ष जेलों में बंद सिख युवा अपनी सजाएं पूरी कर चुके हैं फिर भी उनको रिहा नहीं किया जा रहा है। आज किसानों , बुजुर्गों, बच्चे महिलाएं और युवा अपने विरासती हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। खालसा पंथ को किसानों के पक्ष में संघर्ष के मैदान में साथ देना होगा। उन्होंने सिख कौम की ओर से कोरोना काल में मानवता की लिए निभाई सेवाओं की भी प्रशंसा की। सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्षशील होना समय की जरूरत

एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिद सिंह लोंगोवाल ने विचार सांझे करते हुए कहा कि मौजूदा समय में फैली समाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष शीला होना समय की जरूरत है। एसजीपीसी केंद्र सरकार की ओर से पास किए किसान विरोधी कानूनों की सख्त निदा करती है। एसजीपीसी अपने सौ साला स्थापना दिवस पर संगत को बधाई देती है। उन्होंने शहीद भाई मनी सिंह को याद करते हुए कहा कि युवाओं और संगत को उनकी कुर्बानी से प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस दौरान श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह , बाबा बलबीर सिंह, बाबा निहाल सिंह, बाबा अवतार सिंह सुरसिंह, बाबा मनमोहन सिंह, बाबा गज्जन सिंह, महिदर सिंह, अमरजीत सिंह, भगवंत सिंह, महिदर सिंह, मुख्तार सिंह चीमा, आदि भी मौजूद थे।

निहंग जत्थेबंदियों को किया सम्मानित

बंदी छोड़ दिवस पर परंपरा के अनुसार निहंग जत्थेबंदियों और संप्रदायों के प्रतिनिधियों को सिरोपा दे कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर, बाबा अवतार सिंह सुरसिंह, बाबा निहाल सिंह, बाबा गज्जन सिंह आदि को भी सम्मनित किया।


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