ज्ञानी हरप्रीत सिंह बने अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अकाल तख्त साहिब का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया है। उनको सोमवार को यहां एसजीपी सीकी बैठक में चुना गया।
जेएनएन, अमृतसर। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया है। उनको सोमवार को यहां हुई बैठक में चुना गया। ज्ञानी हरप्रीत सिंह इस समय तख्त दमदमा साहब के जत्थेदार हैं। उनको ज्ञानी गुरुबचन सिंह के इस्तीफा देने के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया है।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की नियुक्ति के लिए सोमवार को यहां बैठक हुई। इसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया। एसजीपीसी के सदस्य अमरीक सिंह शाहपुर ने जत्थेदार की नियुक्ति के लिए समुचित प्रक्रिया अपनाने की मांग की। उन्होंने इस संबंध में बैठक में ज्ञापन दिया1 उनकी मांग को बैठक के दौरान ही अस्वीकार कर दिया गया।
अमरीक सिंह शाहपुर ने कहा कि एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल को संकट की घड़ी में कोई भी जत्थेदार नहीं मिल रहा है। यहां तक कोई सही व्यक्ति जत्थेदार बनने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि एसजीपीसी ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को ही अतिरिक्त कार्यभार देकर श्री अकाल तख्त साहिब का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया है।
बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने पिछले दिनों अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम काे माफी देने को लेकर सवाल उठ रहे थे। उन्होंने यह कदम श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) की जांच और 14 नवंबर को हाईकोर्ट में पेश की जाने वाली संभावित रिपोर्ट से पहले यह कदम उठाया है।
डेरा प्रमुख को माफी पर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार पर उठ रही थीं उंगलियां
माना जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिए जाने पर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार पर भी उंगली उठी थी, इसीलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को भी डेरे के मामले से जोड़ा जा रहा था। हालांकि अपने इस्तीफे में उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला दिया है लेकिन यह तय है कि एसआइटी की रिपोर्ट में जत्थेदार पर उठने वाली उंगली शिरोमणी अकाली दल को भी परेशान कर सकती थी।
डेरा सच्चा सौदा को माफी देने वालों में जहां ज्ञानी गुरबचन सिंह का नाम सबसे ऊपर था वहीं, इस फैसले पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य जत्थेदारों में ज्ञानी मल सिंह का पहले ही निधन हो चुका है। श्री दमदमा साहब के जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं। अब केवल गुरबचन सिंह ही ऐसे जत्थेदार थे जिन्होंने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया था।