संवैधानिक अधिकारों का हनन है नौकरी से निकालना
र¨वदर शर्मा, अमृतसर सेवा केंद्रों में काम करने वाले एक दर्जन कर्मचारियों को अपने अधिकार
र¨वदर शर्मा, अमृतसर
सेवा केंद्रों में काम करने वाले एक दर्जन कर्मचारियों को अपने अधिकारों का संघर्ष करना महंगा पड़ा। कर्मियों की हड़ताल के बाद उनके खातों में कंपनी ने वेतन डालने के साथ ही इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एक दर्जन कर्मियों को टर्मिनेशन पत्र भी जारी कर दिए। इसे लेकर यह लोग आज सुबह सांसद गुरजीत ¨सह औजला व डिप्टी कमिश्नर कमलदीप ¨सह संघा से मिले तो उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी का विषय बताते हुए इन्हें कुछ राहत दिलाने में हाथ खड़े कर दिए। कंपनी की इस कार्रवाई को यह लोग इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन करार देते हुए इसके खिलाफ कोर्ट की शरण में जाने के बारे में सोच रहे हैं। बीएसएल कंपनी की तरफ से टर्मिनेट किए गए गुरजीत ¨सह, व¨रदर ¨सह, हरप्रीत ¨सह, संदीप ¨सह गुलाटी, अमनदीप ¨सह, जसकरण कौर, संदीप कौर, कंवलजीत कौर, लखा ¨सह, बलबीर कुमार व गगनदीप ¨सह ने बताया कि यह कंपनी की सरेआम धक्केशाही है। उन्होंने बताया कि अगर वेतन नहीं आने पर उन्होंने आंदोलन किया तो यह उनका संविधानिक अधिकार है और कंपनी की यह कार्रवाई कमर्चारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है।
कोटस
कर्मचारियों को दिवाली से पहले वेतन देने का संदेश देकर उन्हें काम पर लौटने को कहा था। करीब 12-14 लोगों को छोड़कर अन्य सभी कर्मचारी काम पर लौट आए थे। कंपनी ने वादे के मुताबिक पैसे की व्यवस्था कर अपने कर्मचारियों को वेतन जारी किया। लेकिन लोग अगले दिन भी काम पर नहीं लौटे और सेवा केंद्र में उन कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा तो कंपनी को मजबूरी में यह सख्त फैसला लेना पड़ा।
निखिल गुप्ता, मैने¨जग डायरेक्टर बीएलएस इंटरनेशनल कंपनी, पंजाब।
र¨वदर शर्मा