आर्थिक तंगी से गुजर रहा है स्वतंत्रता सेनानी का परिवार
देश की आजादी में अहम योगदान पाने वाले किशन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे है। पर उनके दो बुजुर्ग पुत्र इस समय भुखमरी का शिकार हो चुके है।
कमल कोहली, अमृतसर : देश की आजादी में अहम योगदान पाने वाले किशन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे है। पर उनके दो बुजुर्ग पुत्र इस समय भुखमरी का शिकार हो चुके है। पेंशन लगवाने के लिए वह प्रशासन व राजनेताओं की शरण में अपने पिता का सम्मान पत्र दिखाकर भटक रहे है।
कुलवंत (66) व सुशील कुमार (64) शारीरिक तौर पर कमजोर है। वह अपने पिता का सम्मान पत्र लेकर नशा विरोधी समाज निर्माण संस्था के चेयरमैन बाल किशन शर्मा से पेंशन लगवाने के लिए फरियाद करने व सदस्यता लेने के लिए आए हुए थे। दैनिक जागरण से बात करते हुए दोनों भाइयों ने बताया कि उनके पिता किशन सिंह आजादी के लिए संघर्ष करने में लगे रहे। उनके पिता शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के साथ भी रहे। जब उनको फांसी की सजा मिली तो उन्होंने इसके खिलाफ अमृतसर में जलूस भी निकाला। इस कारण अंग्रेजों ने उन पर जुर्म भी किए। उनके माता पिता को सरकार की ओर से पेंशन भी मिली। परंतु उनके पुत्रों को कोई नौकरी नहीं मिली। जिसके लिए वह संघर्ष करते रहे। उनके पिता को 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सम्मानित किया था। उनके माता पिता की मौत के बाद वह दोनों भाई शारीरिक तौर पर कमजोर हो गए। उनको व्यापार भी समाप्त हो गया। शहर के टोकरिया वाला बाजार से शिफ्ट होकर अब वह बटाला रोड स्थित भारत नगर गली नंबर दो में रहने लगे है। इलाज के लिए भी नहीं है पैसे
आर्थिक स्थिति कमजोर होने व बीमारी के उपचार के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है। न ही उनके पास रोटी खाने का कोई साधन नहीं है। वह अपने पिता के सम्मान पत्र के साथ अगर किसी के पास जाते है तो उनको कुछ सदस्यता मिल जाती है। इस दौर में वह प्रशासन से यह फरियाद करने में लगे हुए है उनकी पेंशन लग जाए पर उनकी फरियाद कोई भी सुन रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन से रोते हुए अपील की है कि वह उनके पिता की कुर्बानी को देखते हुए उनको पेंशन लगवाने का प्रयास करे। ताकि इस नरक भरे जीवन से निकल कर पेट भर खाना खा सके। नशा विरोधी समाज निर्माण संस्था के चेयरमैन बाल किशन शर्मा ने महानगर के देशभक्तों से अपील की है कि वह इस परिवार की सहायता के लिए आगे आए।