म्यूजियम देख भावुक हुए पूर्व पीएम, कहा- विभाजन दुखद अध्याय, भविष्य में दोबारा कभी न हो
पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी ने रविवार को श्री दरबार साहिब में माथा टेका। उनको इस मौके पर सम्मानित भी किया गया।
जेएनएन, अमृतसर। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दो दिवसीय अमृतसर दौरे के दौरान रविवार को अपनी पत्नी गुरशरण कौर के साथ श्री दरबार साहिब में माथा टेका। इसके बाद वह टाउन हाल में बने पार्टीशन म्यूजियम में गए। म्यूजियम की गैलरी में लगे विभाजन से जुड़े तथ्यों को देखकर मनमोहन भावुक हो उठे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।
इस दौरान उन्होंने ट्री ऑफ होप के लिए एक नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने लिखा 'यह संग्रहालय भारत और पाकिस्तान के इतिहास में एक बहुत दर्दनाक अध्याय का एक वास्तविक अनुस्मारक है। उम्मीद है कि यह दुखद अध्याय भविष्य में दोबारा कभी नहीं होगा।'
बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म वर्ष 1931 में गह में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। 1947 में विभाजन के समय उनका परिवार यहां आया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने अमृतसर के ङ्क्षहदू कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने आज जिक्र किया कि बतौर छात्र वह टाउन हाल पार्टीशन म्यूजियम के पास बनी मोती लाल नेहरू लाइब्रेरी में अध्ययन करते थे।
श्री हरिमंदिर साहिब के सूचना केंद्र में एसजीपीसी कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट भगवंत सिंह सियालका, मेंबर भाई राङ्क्षजदर सिंह मेहता, शिरोमणि कमेटी के सचिव मंजीत सिंह बाठ, श्री दरबार साहिब के मैनेजर सुलखा सिंह ने उनको सम्मानित किया। डॉ. मनमोहन सिंह तथा उनकी पत्नी को सिरोपा, शॉल, श्री हरिमंदिर साहिब की तस्वीर तथा धार्मिक पुस्तक का सेट दिया गया। इस मौके पर सहायक मैनेजर सुखराज सिंह, मलकीत सिंह, जसङ्क्षवदर सिंह जस्सी सूचना अधिकारी, भगवंत पाल सिंह सच्चर और डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा आदि मौजूद थे।
सचखंड दे दर्शन कर सकेया, एह कृपा वाली गल
सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, उनकी पत्नी गुरशरण कौर, भाई सुरजीत सिंह कोहली सहित परिवार के अन्य सदस्य नतमस्तक हुए। उन्होंने कड़ाह प्रसाद की देग करवाई तथा कीर्तन का श्रवण भी किया। उनको भाई राजदीप सिंह ने गुरु की बख्शीश सिरोपा तथा पतासे का प्रसाद दिया। उन्होंने विजिटर्स बुक में अपनी भावनाएं दर्ज करते लिखा कि मेरे लई एह कृपा वाली गल है कि मैं सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शन कर सकेया।
पूर्व पीएम डाॅ. मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी को सम्मानित करते एसजीपीसी के पदाधिकारी।
आज भी याद हैं कॉलेज के दिन : डॉ. मनमोहन सिंह
इससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह गत दिवस हिंदू कॉलेज के वार्षिक सम्मान समारोह में 120 छात्रों को डिग्रियां वितरित कीं। इस मौके कॉलेज में व्यतीत किए गए अपने स्टूडेंट लाइफ को याद किया। इा दौरान वह छात्र जीवन के पुराने साथियों को देखकर बहुत खुश दिखे। उन्होंने कहा कि कॉलेज में सबसे अधिक पीएचडी किए हुए अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं, जिन्होंने देश व विदेश के लिए कई मेधावी छात्र दिए हैं, जिनमें से एक वह भी हैं, जो कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद सफलता की ओर बढ़ते हुए देश के प्रधानमंत्री भी बने।
उन्होंने कहा कि हिंदू कालेज नेशनल ऐसेसमेंट एंड ऐक्रिडेशन कौंसिल (एनएएसी) द्वारा मान्यता प्राप्त है, जो कॉलेज की बेहतर सुविधाओं के चलते ही हासिल हुई है। कॉलेज के दर्जनों विद्यार्थी रहे बच्चे नेशनल-इंटरनेशनल स्तर पर स्पोट्र्स के मैदान में नाम रौशन कर रहे हैं। मल्टीनेशनल कंपनियों के अहम पदों पर आसीन होकर व फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर व एक्ट्रेस के तौर पर काम करते हुए कॉलेज का नाम चमका रहे हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के साथ उनकी पत्नी गुरशरन कौर भी थीं।
वर्ष 1950 में यूनिवर्सिटी के परिणाम में रहे थे अव्वल
पूर्व प्रधानमंत्री ने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पीके शर्मा का आभार व्यक्त किया और कहा कि वह उनके आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें कॉलेज के वार्षिक सम्मान समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। उन्होंने बताया कि साल-1950 में वह यूनिवर्सिटी द्वारा घोषित परिणाम में पहले स्थान पर रहे थे, जिसमें तत्कालीन प्रिंसिपल संत राम ग्रोवर, प्रिंसिपल बीएल कपूर, प्रोफेसर मस्त राम जैन व प्रो. एसआर कालिया व डॉ. जुगल किशोर उनके मार्गदर्शक रहे हैं।
कॉलेज के एलुमनी रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री
हिंदू कॉलेज से डॉ. मनमोहन सिंह सहित पद्मभूषण व पद्मश्री बीएन गोस्वामी, कवि व फिल्म डायरेक्टर केदार शर्मा, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मदन लाल, बिशन सिहं बेदी, पद्मभूषण व पद्मविभूषण प्रथम फील्ड मार्शल माणिक शाह, न्यायाधीश एचआर खन्ना, पद्मविभूषण एमके रसगोत्रा, लेफ्टिनेंट जर्नल बीकेएन छिब्बड़, उतरांचल की पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी, अर्जुन अवार्डी दविंदर आहुजा, सेवानिवृत आइएस एनएस रत्ना, हास्य व कलाकार कपिल शर्मा आदि प्रमुख एलुमनी रह चुके हैं।