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फिक्की फ्लो ने गांव बुआ नंगली में लगवाया आंखों की जांच का शिविर

फिक्की फ्लो ने संभव प्रोजेक्ट के तहत कैंसर के खिलाफ जागरूकता फैलाने के मकसद से समाज को सर्विकल कैंसर ब्रेस्ट कैंसर व ओरल कैंसर मुक्त समाज बनाने का बीड़ा उठाया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 10:30 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 10:30 AM (IST)
फिक्की फ्लो ने गांव बुआ नंगली में लगवाया आंखों की जांच का शिविर
फिक्की फ्लो ने गांव बुआ नंगली में लगवाया आंखों की जांच का शिविर

जागरण संवाददाता, अमृतसर : फिक्की फ्लो ने संभव प्रोजेक्ट के तहत कैंसर के खिलाफ जागरूकता फैलाने के मकसद से समाज को सर्विकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व ओरल कैंसर मुक्त समाज बनाने का बीड़ा उठाया है। फिक्की फ्लो की तरफ से गांव बुआ नंगली में नव दृष्टि के तहत रविवार को ओम प्रकाश अस्पताल के सहयोग से विशेष शिविर आयोजित करवाया, जिसमें आंखों के मरीजों की जांच करके उन्हें चश्मे लगाए व उन्हें दवाइयां वितरित की। फिक्की फ्लो की चेयरपर्सन मीता मेहरा ने बताया कि चश्मे व दवाई से बात न बनने वाले केसों में मरीजों का मुफ्त आपरेशन भी करवाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी फिक्की फ्लो अमृतसर ने उठाई है। उन्होंने कहा कि संगठन की बतौर चेयरपर्सन नियुक्त होने के बाद उन्होंने गांव बुआ नंगली को गोल लिया था, जिसमें गांव का बहुपक्षीय विकास करवाना और वहां रहने वाले लोगों को सेहत सुविधा प्रदान करवाने की जिम्मेदारी उठाई थी, जिसके चलते आज उक्त शिविर आयोजित करवाया है। इस मौके पर गांव के सरपंच दिलप्रीत सिंह कोहरी, मनजोत ढिल्लों, डा. सिमरप्रीत संधू, मोना सिंह, गीतांजलि ओम प्रकाश, रमिदर ग्रोवर, हरसिमरन अरोड़ा, राधिका जोशी, स्तुति सिघानिया, मनीशा वर्मा आदि मौजूद थे। बुजुर्ग महिला के लीवर से निकाली प्लास्टिक टी ट्यूब

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अमृतसर में 70 वर्षीय महिला के लीवर में रह गई प्लास्टिक की टी-ट्यूब को एंडोस्कोपी के माध्यम से आइवी अस्पताल अमृतसर में सफलतापूर्वक निकाला गया। अस्पताल के गेस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट व हेपेटोलाजिस्ट कंसल्टेंट डा. हमीद रैना ने कहा कि महिला के पेट के उपरी हिस्से में गंभीर दर्द हो रहा था। इसके साथ ही उन्हें उल्टियां बी आ रही थीं। महिला की जांच से पता चला कि उनके गाल ब्लेडर स्टोन के लिए पहले हुई सर्जरी के दौरान लीवर में एक माइग्रेटेड प्लास्टिक टी ट्यूब रह गई थी। यह एक बहुत ही जटिल व चुनौतीपूर्ण मामला था, जिसे एंडोस्कोपिक से निकालने का फैसला किया। उन्होंने 45 मिनट की ईआरसीपी प्रक्रिया से ट्यूब को सफलतापूर्वक हटा दिया। सर्जरी के अगले दिन मरीज को छुट्टी दे दी गई।


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