Move to Jagran APP

हर साल शहीदों को नमन करने आते है खन्ना, मगर प्रशासन ने नहीं डाला लिस्ट में नाम

जलियांवाला बाग के शहीदों के सम्मान में 25 जनवरी को रखे गए कार्यक्रम के लिए अभी तक केवल 27 परिवारों का ही पता लगाया जा सका है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 11:47 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 11:47 PM (IST)
हर साल शहीदों को नमन करने आते है खन्ना, मगर प्रशासन ने नहीं डाला लिस्ट में नाम
हर साल शहीदों को नमन करने आते है खन्ना, मगर प्रशासन ने नहीं डाला लिस्ट में नाम

हरीश शर्मा, अमृतसर

loksabha election banner

जलियांवाला बाग के शहीदों के सम्मान में 25 जनवरी को रखे गए कार्यक्रम के लिए अभी तक केवल 27 परिवारों का ही पता लगाया जा सका है। वहीं लगातार प्रशासन के संपर्क में रहे दिल्ली के दिलशाद गार्डन के रहने वाले मनीश खन्ना के दादा लाला राम जस्समल खन्ना का नाम लिस्ट में ही नहीं है। इस बात का पता चलने पर मनीश खन्ना ने तुरंत सीएम पंजाब, जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ संपंर्क किया और साथ ही ईमेल भेज कर भी सूचित कर दिया है। मगर अभी तक प्रशासन ने अपनी लिस्ट को अपडेट नहीं किया है। खन्ना हर साल 13 अप्रेल को दादा की तस्वीर लेकर जलियांवाला बाग पहुंचते है और शहीदों को नमन भी करते है।

मनीश खन्ना ने बताया कि उनके दादा लाला राम के नाम से लाहौरी गेट के बाहर अखाड़ा उस्ताद जस्समल अभी भी चल रहा है। उनका घर लाहौरी गेट के अंदर था। दादा जी जलियांवाला बाग कांड में शहीद हुए थे। इस संबंधी अमृतसर प्रशासन की ओर से उनके दादा के नाम की लेटर भी मिली हुई है। मगर अब जो लिस्ट अपलोड की गई है। उसमें दादा जी का नाम नहीं है। हालांकि 2019 में हुए जलियांवाला के 100 साला कार्यक्रम में भी वह पहुंचे थे। वह पिछले करीब बीस साल से लगातार जिला प्रशासन के साथ संपर्क में रह रहे है। वह अब भी अमृतसर आ रहे है और इस संबंधी आवाज भी उठाएंगे। अभी तक 27 परिवार हुए वेरीफाइ

जिला प्रशासन ने 492 शहीदों के नाम की लिस्ट को वेबसाइट पर अपलोड किया है। मगर केवल 27 परिवारों को ही अभी तक ढूंढा जा सका है क्योंकि लिस्ट 100 साल पुरानी है। उसमें सभी के सही पते भी नहीं है। यहां तक कि बहुत सारे शहीद ऐसे भी थे, जिनका परिवार शायद आगे बढ़ ही नहीं पाया। जिस कारण अभी तक सभी का पता नहीं लगाया जा सका है। इसके अलावा बहुत सारे शहीद ऐसे भी थे। जोकि मुस्लिम कम्युनिटी से संबंधित थे। ऐसे में 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो बंटवारे के वक्त मुस्लिम परिवारों से संबंधित शहीदों के वारिस पाकिस्तान चले गए। जिला प्रशासन को अनुमान है कि लिस्ट के मुताबिक 100 से ज्यादा परिवार शायद उस समय पाकिस्तान चले गए थे। कोटस----

एसडीएम-2 इनायत गुप्ता ने बताया कि टीम लगातार शहीदों के परिवारों को ढूंढने की कोशिश जारी है। पूरे पते न होने क कारण मुशिकल आ रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.