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42 डिफाल्टर किरायेदारों पर लटकी सीलिंग की तलवार

नगर निगम के एस्टेट विभाग ने डिफाल्टर किरायेदारों पर शिकंजा कसने की कवायद तेज कर दी है

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 12:06 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 12:06 AM (IST)
42 डिफाल्टर किरायेदारों पर लटकी सीलिंग की तलवार

विपिन कुमार राणा, अमृतसर

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नगर निगम के एस्टेट विभाग ने डिफाल्टर किरायेदारों पर शिकंजा कसने की कवायद तेज कर दी है। सालों से किराया न देने वाले 42 डिफाल्टरों की पहली सूची तैयार की गई है जिन पर सीलिंग की तलवार लटक गई है। इस सूची में शुमार दुकानदारों की दुकानों को सील करने की एस्टेट विभाग ने कमिश्नर से आज्ञा मांगी है, ताकि किराये की रिकवरी की रफ्तार दी जा सके। इन दुकानदारों से विभाग ने 82.29 लाख रुपये बकाया है।

बता दें कि शहर की 53 मार्केट में निगम के 1105 दुकानें किराये के आधार पर अलाट की हुई है। इनमें से छह सौ दुकानदारों का किराया और जीएसटी बकाया होने की वजह से उन्हें नोटिस तो जारी किए जा चुके हैं, पर उसके बावजूद रिकवरी में सुधार नहीं हुआ। इससे निगम को हो रहे वित्तीय नुकसान की वजह से अब इन किराये की दुकानों को सील करने की कवायद शुरू की जा रही है, ताकि सीलिग के डर से या तो किराया आए या फिर सील करके निगम संपत्ति का कब्जा ले। इन मार्केट में ये हैं डिफाल्टर

विभाग द्वारा जिन 42 डिफाल्टरों की सूची बनाई गई है, इनमें एक साल से लेकर दस लाख रुपये तक के डिफाल्टर हैं। विभाग द्वारा तैयार सूची में गोलबाग टैक्सी स्टैंड की दुकान नंबर 10,12,14,15,17,18,23,30,33,35,39,40,41,42, त्रिकोणी मार्केट की दुकान नंबर 16,17,26, बाहरवार बेरी गेट की दुकान नंबर 5,18, बाहरवार हाथी गेट की दुकान नंबर 10, इंदिरा पैलेस रोड की दुकान नंबर 1,4,5,7, भूषणपुरा बी ब्लाक की दुकान नंबर 10बी, 11बी, कोट आत्माराम की दुकान नंबर 1,5,6,9,57,66, कोट आत्मा सिंह हाल की दुकान नंबर 3, सामने गुरुद्वारा बाबा दीप सिंह जी की दुकान नंबर 1,2, सामने श्री गुरु रामदास अस्पताल की दुकान नंबर 9,10,31,39,40,52 शामिल है। कोट्स...

निगम के किरायेदारों को पहले नोटिस जारी करते हुए बनता किराया जमा करवाने को कहा गया था, परंतु उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। बहुत से किरायेदारों का पांच से सात साल का किराया पेडिग है। अब इनकी सीलिग की योजना है। उनके सभी दुकानदारों से अपील है कि वह निगम का बनता किराया जमा करवा दे, ताकि विभाग को सख्ती के लिए मजबूर न होना पड़े।

-कर्मजीत सिंह रिटू, मेयर


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