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जीएनडीच में 44 वेंटीलेटर्स को मिली आक्सीजन, अब मरीजों को देंगें सांसें

कोरोना संक्रमित बेहद गंभीर मरीजों को सांस देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए भारत निर्मित वेंटीलेटर्स को सांस देने के लिए तकनीकी टीमें काम कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 04:00 AM (IST)
जीएनडीच में 44 वेंटीलेटर्स को मिली आक्सीजन, अब मरीजों को देंगें सांसें

नितिन धीमान, अमृतसर : कोरोना संक्रमित बेहद गंभीर मरीजों को सांस देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए भारत निर्मित वेंटीलेटर्स को 'सांस' देने के लिए तकनीकी टीमें काम कर रही हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में सितंबर 2020 के बाद लगातार 137 वेंटीलेटर्स भेजे गए थे। इनमें से महज 40 की ही सांसें चल रही थीं। यानी शेष 97 वेंटीलेटर्स कबाड़ की तरह पड़े रहे। कोरोना काल में वेंटीलेटर्स की उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है। अति गंभीर कोरोना मरीजों की सांसें सहेजने में यह उपकरण बेहद प्रभावी माना जाता है। अफसोसनाक पक्ष यह रहा कि जिन तीन कंपनियों ने ये वेंटीलेटर्स भेजे थे, उन्हें अस्पताल प्रशासन ने कई बार ईमेल भेजकर फोन कर इन्हें ठीक करने को कहा पर इस पर गौर नहीं हुआ। बीते शुक्रवार को तीनों कंपनियों के इंजीनियर अमृतसर पहुंचे और वेंटीलेटर्स ठीक करने में जुट गए। अस्पताल प्रशासन ने तकनीकी टीम से दो टूक कहा कि खबर लगने के बाद आए, पहले ही आ जाते। ये इंजीनियर्स डेल कंपनी, भारत इलेक्ट्रिकल्स व एक्वा कंपनी के हैं। शुक्रवार और शनिवार देर शाम तक काम करके कुल 44 वेंटीलेटर्स ठीक कर दिए गए हैं। 25 और वेंटीलेटर आए, इनमें भी आठ खराब निकले

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इधर, बीते शुक्रवार को पीएम केयर फंड से 25 नए वेंटीलेटर्स भी अस्पताल प्रशासन को मिले। इनमें से भी आठ खराब निकले हैं। बहरहाल, अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए महज 47 वेंटीलेटर्स ही थे। अब 44 वेंटीलेटर्स ठीक होने के बाद कुल 81 हो गए हैं। सुलगता सवाल .

खराब वेंटीलेटर्स को ठीक कर दिया गया, पर इस बात की क्या गारंटी है कि ये फिर से खराब नहीं होंगे। वेंटीलेटर्स स्पोर्ट पर रखे मरीज को यदि एक पल के लिए भी आक्सीजन न मिली तो उसकी जान खतरे में पड़ जाएगी।


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