टेक्निशियन की कुर्सी पर बैठा इलेक्ट्रिशियन और करने लगा डोप टेस्ट
अमृतसर एक पुरानी कहावत है-जिसका काम उसी को साजे, लेकिन ज्यादातर सरकारी अधिकारियों को इस कहावत का भावार्थ मालूम नहीं।
नितिन धीमान, अमृतसर
एक पुरानी कहावत है-जिसका काम उसी को साजे, लेकिन ज्यादातर सरकारी अधिकारियों को इस कहावत का भावार्थ मालूम नहीं। अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में एक इलेक्ट्रिशियन को टेक्निशियन की कुर्सी पर बिठा दिया गया। यह इलेक्ट्रिशियन सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक लोगों के डोप टेस्ट करता रहा। वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर इस इलेक्ट्रिशियन ने कुर्सी का जमकर आनंद उठाया। डोप टेस्ट के लिए आए लोगों को भनक तक नहीं लगने दी कि वह बिजली के उपकरणों की रिपेय¨रग का काम करता है। सरकारी कुव्यवस्था को दर्शाती इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि डोप टेस्ट की रिपोर्ट में भी निश्चित ही घालमेल होता होगा।
दरअसल, इकबाल ¨सह नामक इस शख्स की ड्यूटी नशा मुक्ति केंद्र में बिजली की तकनीकी खराबी दुरुस्त करने की है। मंगलवार को इकबाल ¨सह क्लिनिकल लेबोरेट्री में आकर बैठ गया। सुबह से ही डोप टेस्ट के लिए लोगों का जमावड़ा लग गया था। उसने एक-एक कर लोगों के डोप टेस्ट किए। जो लोग बारह बजे के बाद उन्हें कल आने को कहता रहा। दैनिक जागरण ने इस सारे घटनाक्रम को अपने कैमरे में कैद दिया।
सवाल यह है कि क्या एक इलेक्ट्रिशियन डोप टेस्ट कर सकता है?
जिन लोगों के पास हथियार हैं और जो लोग हथियार लेना चाहते हैं, उनके लिए पंजाब सरकार ने डोप टेस्ट लाजमी किया है। यह बहुत ही संवेदनशील है कि एक इलेक्ट्रिशियन से टेक्निशियन का काम लिया जा रहा है। इस इलेक्ट्रिशियन ने अब तक कितने डोप टेस्ट किए, यह बताने को कोई तैयार नहीं।
डोप टेस्ट के लिए प्रशिक्षित टेक्निशियन का होना लाजमी: एक्सपर्ट
हमने इस पर एक्सपर्ट राय भी ली। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सीनियर लेबोरेट्री अटेंडेंट ने बताया कि डोप टेस्ट के लिए किसी प्रशिक्षित टेक्निशियन का होना लाजमी है। डोप टेस्ट के लिए यूरिन सैंपल लिया जाता है और मॉरफिन, ट्रेमाडोल, ब्रुपोनारफिन, कोडीन, ओपियम, कोकीन सहित दस तरह के टेस्ट किए जाते हैं। यूरिन को टे¨स्टग किट में रखकर रिपोर्ट हासिल की जाती है। यह काम सिर्फ टेक्निशियन ही कर सकता है। इलेक्ट्रिशियन द्वारा किए गए टेस्टों की रिपोर्ट गलत भी हो सकती है। टेस्ट रिपोर्ट में नशेड़ी की रिपोर्ट निल हो सकती है, जबकि नशा न करने वाले की रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। बहरहाल, यह सभी ¨बदु अभी जांच का विषय हैं।
रेगुलर टेक्निशियन की नियुक्ति नहीं की
नशा मुक्ति केंद्र में रेगुलर टेक्निशियन नहीं है। डोप टेस्ट के लिए प्रशासन द्वारा रेडक्रॉस सोसाइटी से एक युवती को रखा गया है। यह युवती भी डोप टेस्ट करने के निर्धारित मापदंड पूरा नहीं करती। डोप टेस्ट के लिए सरकार ने 1500 रुपये निर्धारित किए हैं, लेकिन सरकार टेक्निशियन की नियुक्ति नहीं कर रही।
व्यवस्थागत खामियां बनी परेशानी
पंजाब में नशे का मुद्दा इतना संवेदनशील हो गया है कि विपक्ष के नेता सत्तापक्ष पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं। इन शाब्दिक हमलों से बचने के लिए सरकार ने मई माह से सभी असलहा धारकों व नए असलहा आवेदकों के डोप टेस्ट लाजमी किए हैं, लेकिन व्यवस्थागत खामियों के चलते यह प्रक्रिया सलीके से संपन्न नहीं हो पा रही। हाल ही में जिले के एक केंद्र में डोप टेस्ट करवाने आए शख्स ने बाथरूम में जाकर यूरिन की बजाय कंटेनर में पानी भर दिया। इसी तरह एक शख्स घर से ही यूरिन सैंपल ले आया। ऐसी घटनाओं के बाद डोप टेस्ट की प्रमाणिकता पर सवाल उठना लाजमी है। हमारे पास स्टाफ कम है : डॉ. गर्ग
नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ. पीडी गर्ग का तर्क है कि आज टेक्निशियन छुट्टी पर था, इसलिए इकबाल ¨सह से काम लिया गया है। वह इलेक्ट्रिशियन है, लेकिन उसे लेबोरेट्री का काम आता है। वह कंप्यूटर भी चला लेता है। डॉ. पीडी गर्ग ने माना कि डोप टेस्ट संवेदनशील होता है, इसे टेक्निशियन ही कर सकता है लेकिन स्टाफ न होने की वजह से हम भी मजबूर हैं।