सरकारी सम्मान के साथ हुआ इंजी. जसवंत गिल का अंतिम संस्कार
। 1989 में कोयले की खान से 65 लोगों को जिदा बचाने वाले इंजीनियर जसवंत सिंह गिल का बुधवार दोपहर को शहीदां साहिब श्मशानघाट में सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
1989 में कोयले की खान से 65 लोगों को जिदा बचाने वाले इंजीनियर जसवंत सिंह गिल का बुधवार दोपहर को शहीदां साहिब श्मशानघाट में सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहर की नामी हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की। पंजाब पुलिस के जवानों ने शस्त्र उलटे कर और हवा में गोलियां दागते हुए इंजीनियर गिल को सलामी दी। अंतिम संस्कार से पहले श्री जपुजी साहिब का पाठ कर अरदास की गई।
इस मौके पर पहुंचे डीसी शिवदुलार सिंह, आइजी डॉ. कुंवर विजय प्रताप, प्रो. दरबारी लाल, अविनाश महिद्रू, इंजी. गिल की धर्मपत्नी निर्दोश कौर, बेटी पूनम गिल, बहू हरमिदर कौर, रणदीप गिल, हीना गिल, कर्म गिल, हरशेर गिल साहित गणमान्य लोगों ने अंतिम दर्शन किए और उन्हें नम आंखों से उन्हें विदाई दी। इसके बाद इंजी. गिल के बेटे सरप्रीत सिंह ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि भेंट की।
डीसी शिवदुलार सिंह और आइजी डॉ. कुंवर विजय प्रताप ने कहा कि इंजी. गिल के जाने से सिख कौम को कभी न पूरा होने वाला घाटा हुआ है। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना 1989 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज स्थित महाबीर कोयले की खान में 300 फीट नीचे पानी से भरी खान से 65 मजदूरों को छह घंटे में सही-सलामत निकाल कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया था। उनकी बहादुरी पर सिख कौम और इंजीनियर जमात ही नहीं बल्कि हरेक पंजाबी और हिदुस्तानी को गर्व हैं। कोयले की खान से मजदूरों को निकालने के बाद उनको राष्ट्रपति के हाथों सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक दिया गया था। इसके बाद उनको द हीरो ऑफ रानी गंज समेत देश के दूसरे राज्यों की सरकारों तथा सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है।