सीमा क्षेत्र के लोगों के हाैसले बुलंद, बोले-आतंकवाद खत्म हो, फिर चाहे जंग ही क्यों न हो
भारत-पाकिस्तान सीमा पर भारी तनाव और युद्ध जैसे हालत के बावजूद पंजाब के सीमा क्षेत्र में लोगों के हौसले बुलंद हैं। उनका कहना है कि आतंकवाद खत्म हो चाहे जंग की क्यों न हो जाए।
विपिन कुमार राणा, अटारी (अमृतसर)। भारत-पाकिस्तान सीमा पर भारी तनाव और यु्द्ध जैसे हालात के बावजूद पंजाब के सीमा क्षेत्र के लोगों के हौसले बुलंद हैं। उनका कहना है कि तनाव जरूर है, लेकिन दहशत नहीं है। लाेग चाहते हैं कि आतंकवाद किसी भी कीमत पर समाप्त होना चाहिए चाहे जंग क्यों न हो जाए।
सीमावर्ती क्षेत्रों से ग्राउंड रिपोर्ट, लोगों ने कहा- 1965 आैर 1971 की जंग देखी है, हमें कोई डर या परवाह नहीं
सीमा क्षेत्र की हालत की जायजा लेने हम पहुंचे तो लोगों ने कहा, कोई दहशत या किसी स्थिति की परवाह नहीं है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर कंटीली तार के मात्र पांच सौ मीटर दूरी पर रहने वाले गांवों के लोगों का कहना है, हमने 1965, 1971, कारगिल युद्ध और सर्जिकल स्ट्राइक आदि देखा व झेला है। 1965 में तो हमारे जवान पाकिस्तान में पांच किलोमीटर तक चले गए थे। हम न तब डरे थे और न ही हमें अब कोई डर है। जंग हो या कुछ भी हो, आतंकवाद का खात्मा होना चाहिए।
भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाक में बने हुए तनातनी के हालात के बीच सीमांत गांवों में हालात सामान्य है। लोगों में थोड़ा तनाव जरूर है, पर दिनचर्या रूटीन की तरह ही चल रही है। बच्चे स्कूल जा रहे है और किसान खेतों में काम कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन व बीएसएफ द्वारा अभी उन्हें किसी भी प्रकार से गांव खाली करने को नहीं कहा गया है।
अटारी क्षेत्र के गांवों में हालात से बेखौफ खेतों में काम करते किसान।
सीमावर्ती गांव दाउके, रोड़ावाला, भौनी, भेरोपाल, रोडेवाला खुर्द, धारीवाल, अटारी आदि गांवों के लोग मौजूदा हालात में देश के लिए डटे हुए हैं। पाकिस्तान को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि हमारी वायुसेना ने पाकिस्तान को जो जवाब दिया है, उससे हम पूरी तरह से सहमत हैं।
आइसीपी बंद होने से बढ़ी परेशानी
भारत-पाक के बीच तनाव बढऩे के बाद इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट-आइसीपी पर कारोबार बंद हो गया है। इसके चलते सीमांत गांवों के युवाओं का रोजगार भी फिलहाल बंद हुआ पड़ा है। आइसीपी पर बतौर कंप्यूटर आपरेटर काम करने वाले सिमरजीत सिंह, मंगल सिं ने बताया कि आइसीपी बंद होने के बाद से वह फ्री बैठे हुए हैं और घर के काम आदि कर समय व्यतीत कर रहे है।
न पहले डरे, न अब कोई दहशत है
गांव रोड़ेवाला खुर्द के बलदेव सिंह ने कहा कि उन्होंने 1965 और 1971 की जंग के अलावा भारत-पाक का हर संघर्ष झेला है। न हम पहले कभी डरे हैं और न ही हमें अब कोई दहशत है। भारत ने एयर स्ट्राइक करके बता दिया है कि हम आतंकवाद का जवाब देना जानते हैं।
पहले भी कभी पलायन नहीं किया और न अब करेंगे
गांव रोड़ेवाला खुर्द के ही जसमीत सिंह ने कहा कि पूर्व में भी जब बॉर्डर पर तनाव के हालात बनते रहे हैं, तब भी गांव के पुरुषों ने कभी पलायन नहीं किया। बच्चों और महिलाओं को ही गांवों से अपने रिश्तेदारों के यहां भेजा जाता है।
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पठानकोट में शहर से सरहद तक सुरक्षा कड़ी
पठानकोट : जिले में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया गया है। माधोपुर जाने वाले रास्ते पर सेना की तैनाती कर दी गई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस की गश्त 24 घंटे बढ़ा दी गई है। सीमावर्ती गांवों में बुधवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने खुद जाकर स्थिति का जायजा लिया। सीमा पर तनाव बरकरार है। पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन के पास भी कड़ी सुरक्षा की गई है। जरूरत पडऩे पर राहत शिविर के लिए फ्री बिजली देने के बिजली विभाग को निर्देश जारी किए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस बख्तरबंद वाहनों से गश्त कर रही है।
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बीएसएफ ने तारबंदी के पार जाने से किसानों को रोका
गुरदासपुर : एसएसपी गुरदासपुर स्वर्णदीप सिंह ने बुधवार को सीमावर्ती गांवों में जाकर खुद स्थिति का जायजा लिया। मुलाजिमों को चौकस रहने और आने-जाने वाले हर वाहन की चेकिंग के निर्देश दिए। सभी रास्तों पर नाकाबंदी गई है। बीएसएफ ने किसानों को तारबंदी के पार खेती के लिए जाने से मना कर दिया है। जब तक हालात में सुधार नहीं होता तब तक किसानों को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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फिरोजपुर में मुख्य हाईवे पर बनाया बंकर नाका
फिरोजपुर : जिले में हाई अलर्ट के चलते गश्त बढ़ा दी गई है। हर सड़क पर विशेष नाकाबंदी की गई है। हाईवे पर पुलिस की तरफ से बंकर की तरह नाका बनाया गया है ताकि किसी भी परस्थितियों से निपटा जा सके। एएसआई अमरीक ङ्क्षसह ने बताया कि इस बंकरनुमा नाके को बुधवार को ही तैयार किया गया है।
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अंधेरा होने से पहले घरों को लौटने लगे गांववासी
फाजिल्का : तनावपूर्ण माहौल के बावजूद सीमावर्ती गांवों के किसान अपने परिवारों सहित खेतों में काम कर रहे हैैं। बदले हालात के मद्देनजर चौकसी बरतते हुए गांवों के लोग अंधेरा होने से पहले घरों को आने लगे हैं। गांवों के गुरुद्वारे से लाउड स्पीकर के जरिए रात को घरों की लाइटें बंद रहने को कहा जा रहा है। गांव बाधा निवासी जसङ्क्षवद्र ङ्क्षसह ने बताया कि वह सीमा पर तैनात जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलकर दुश्मन का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
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