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फिर रफ्तार पकड़ेगी काटन इंडस्ट्री

। जिले में कारोबार को बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए उद्योगपतियों ने काटन इंडस्ट्री को प्रफुल्लित करने के लिए सहमति जताई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:01 AM (IST)
फिर रफ्तार पकड़ेगी काटन इंडस्ट्री
फिर रफ्तार पकड़ेगी काटन इंडस्ट्री

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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जिले में कारोबार को बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए उद्योगपतियों ने काटन इंडस्ट्री को प्रफुल्लित करने के लिए सहमति जताई है।

इसके लिए पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल की ओर से उद्योगपतियों के साथ मीटिग कर फीडबैक ली जा रही है। इसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है। शहर के उद्योगपति काटन इंडस्ट्री को दोबारा से स्टैंड करने के लिए निवेश करने को तैयार हो रहे हैं।

पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ ने बताया कि 30 साल पहले अमृतसर में बड़े पैमाने पर काटन इंडस्ट्री हुआ करती थी। जो अब मात्र चार-पांच यूनिट तक सिमिट कर रह गई है। जबकि काटन इंडस्ट्री की देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी भारी मांग है। क्योंकि पहले ही अमृतसर को एक्सपोर्ट हब बनाने के लिए प्रयास जारी हैं। ऐसे में अगर यहां पर काटन इंडस्ट्री को बूस्ट किया जाए तो बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हो सकते हैं। सेठ ने बताया कि जिस तरह से लुधियाना हौजरी में, जालंधर स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के नाम से जाने जाते हैं, उसी तरह अमृतसर का नाम भी काटन इंडस्ट्री के नाम से जाना जाएगा। आने वाले समय में इसमें बहुत संभवानाएं नजर आ रही हैं। इस संबंध में लगातार सरकार के संबंधित विभागों और फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन के साथ भी संपर्क कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इन कारणों से शिफ्ट हुई इंडस्ट्री

पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के महासचिव समीर जैन ने बताया कि अमृतसर से काटन इंडस्ट्री शिफ्ट हो जाने कारण एक बड़ा कारण आतंकवाद रहा है। इसके बाद सरकार की ओर से लगातार अनदेखी की गई। दूसरे राज्यों के मुकाबले बिजली के रेट बहुत ज्यादा थे, दूसरे राज्यो के मुकाबले मिलने वाले इनसेंटिव बहुत कम थे। इसी तरह बार्डर इलाका होने के कारण समय की केंद्र सरकारों ने फ्रेट टैक्स पर कोई सब्सिडी नहीं दी। यहां पर कोई भी टैक्स फ्री जोन नहीं बनाया गया। इंडस्ट्री लगाने व मशीनें खरीदने के लिए सब्सिडी का कोई प्रावधान न रहने के कारण यहां से काटन इंडस्ट्री बंद हो गई।


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