दो विभागों में फंसा इंसान, न 'जी' सकता है न 'मर' सकता है
जिदगी के साथ मृत्यु भी शाश्वत सत्य है। जन्म के बाद बच्चे की व्यक्तिगत पहचान के लिए जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है और मरने के बाद घर वालों को उसका मृत्यु प्रमाणपत्र।
नितिन धीमान, अमृतसर
जिदगी के साथ मृत्यु भी शाश्वत सत्य है। जन्म के बाद बच्चे की व्यक्तिगत पहचान के लिए जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है और मरने के बाद घर वालों को उसका मृत्यु प्रमाणपत्र। ये दोनो दस्तावेज अति महत्वपूर्ण हैं। दूसरी तरफ गुरु नगरी में जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए लोगों को जिस मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है वह सिर्फ वे ही जानते हैं। लोगों को सरकारी दफ्तरों में कुर्सी पर विराजमान बाबुओं के समक्ष गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। सिविल सर्जन कार्यालय व नगर निगम में इन दिनों ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो रही है।
दरअसल, नगर निगम कार्यालय में पिछले छह माह से जन्म से संबंधित दस्तावेजों की 150 फाइलें धूल फांक रही हैं। ये वो फाइलें हैं जो सिविल सर्जन कार्यालय के स्टाफ ने नगर निगम कार्यालय में 'करेक्शन' के नाम पर भेजीं। सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से इन फाइलों में पूरे दस्तावेज न होने की टिप्पणी लिखी गई है, जबकि नगर निगम के स्टाफ ने फाइलों की जांच पड़ताल की है, लेकिन इनमें उन्हें कोई ऑब्जेक्शन नजर नहीं आ रहा। सभी फाइलों में दस्तावेज पूरे हैं। नगर निगम का तर्क है कि सिविल सर्जन कार्यालय का स्टाफ ऐसा क्यों कर रहा, यह तो वे ही जानें। हमारी ओर से कोई दस्तावेज अधूरा नहीं भेजा जा रहा।
असल में जन्म प्रमाण पत्र में मां का नाम, जाति, पिता, दादा का नाम दर्ज होता है। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद यदि कोई त्रुटि रह जाए तो आवेदक इसे दुरुस्त करवा सकता है। त्रुटि का भावार्थ यह है कि प्रमाण पत्र में आवेदक का नाम, पिता का नाम अथवा एड्रेस गलत दर्ज किया गया हो। इसमें करेक्शन करवाने के लिए आवेदक सेवा केंद्र में फाइल जमा करवाता है। सेवा केंद्र का स्टाफ फाइल निगम कार्यालय पहुंचाता है। निगम की ओर से यह फाइल आवेदक का सही नाम, आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, स्कूल से संबंधित दस्तावेज, स्वघोषणा पत्र, दो पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त अर्जी इत्यादि कागजात पूरे करवाने के उपरांत फारवर्डिंग लेटर लगाकर सिविल सर्जन कार्यालय में भेजी जाती है। अब स्थिति यह है कि नगर निगम की ओर से दस्तावेजों सहित भेजी गई फाइल को सिविल सर्जन कार्यालय का स्टाफ यह टिप्पणी दर्ज कर लौटा रहा है कि इनमें दस्तावेज पूरे नहीं हैं। हालांकि निगम का जन्म-मृत्यु पंजीकरण विभाग का दावा है कि एक-एक दस्तावेज फाइल के साथ नत्थी करके सिविल सर्जन कार्यालय भेज रहे हैं।
तीन माह से दोनों विभागों के चक्कर लगा रहे सर्बजीत
दुखद पहलू यह है कि सरकारी विभागों की लापरवाही से अनजान उपभोक्ता इन दोनों विभागों में चक्कर लगाकर परेशान हो रहा है। सर्बजीत सिंह नामक युवक ने बताया कि उसके जन्म प्रमाण पत्र में एड्रेस गलत दर्ज हुआ था। उसने इसे दुरुस्त करवाने के लिए सेवा केंद्र के जरिए फाइल तैयार करवाकर नगर निगम भिजवाई। निगम ने सिविल सर्जन कार्यालय को और अब फिर से इसमें दस्तावेज की कमी बताकर नगर निगम को भेज दी गई। पिछले तीन माह से दोनों विभागों के चक्कर लगाकर थक चुका हूं।
करेक्शन फाइल की वेरिफिकेशन करवाता है सिविल सर्जन कार्यालय
निगम की ओर से भेजी गई करेक्शन फाइल की सिविल सर्जन कार्यालय का स्टाफ वेरिफिकेशन करता है। इसके बाद यह फाइल सिविल सर्जन कार्यालय में जमा होती है और आवेदक को एक रसीद दी जाती है। यह रसीद लेकर आवेदक निगम निगम पहुंचता है और रजिस्टर में करेक्शन दर्ज करवाता है। इसके बाद सेवा केंद्र से उसे नया प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
निगम की ओर से सभी दस्तावेज भेजे जाते हैं : कमिश्नर
नगर नगर की ओर से सिविल सर्जन कार्यालय को भेजी गई फाइलें फिर से नगर निगम कार्यालय में क्यों भेजी गईं, इस संदर्भ में निगम कमिश्नर हरबीर सिंह कहते हैं कि यह तो सिविल सर्जन ही बता सकते हैं। हमारी तरफ से फाइलों के साथ सभी दस्तावेज भेजे जा रहे हैं।
फाइलें अधूरी हैं, इसीलिए वापस भेजीं : विजय राज
सिविल सर्जन कार्यालय स्थित जन्म मृत्यु पंजीकरण विभाग के इंचार्ज विजय कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे पास निगम की ओर से जो फाइलें भेजी जाती हैं, उनमें दस्तावेज पूरे न होने पर ही करेक्शन के लिए निगम के पास भेजते हैं। निगम प्रशासन 150 फाइलें सिविल सर्जन कार्यालय में भेज दे। हम आमने-सामने बैठकर फाइलों की पड़ताल कर लेंगे कि कौन सच्चा है और कौन झूठा। वहीं सिविल सर्जन डॉ. हरदीप सिंह घई से संपर्क करने की कोशिश की गई, पर उनका मोबाइल स्विच ऑफ था।