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फायर सेफ्टी के बिना चल रही व्यवसायिक इमारतें

। महानगर के कई हिस्सों में बिना फायर सेफ्टी के ही हजारों व्यवसायिक इमारतें और शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 12:27 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 12:27 AM (IST)
फायर सेफ्टी के बिना चल रही व्यवसायिक इमारतें
फायर सेफ्टी के बिना चल रही व्यवसायिक इमारतें

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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महानगर के कई हिस्सों में बिना फायर सेफ्टी के ही हजारों व्यवसायिक इमारतें और शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं। कुछ दिन पहले गुजरात में शैक्षणिक संस्थान में आग लगने से 22 स्टूडेंट्स की जान जाने की सीख किसी ने नहीं ली। बावजूद उक्त संस्थान बिना किसी रोक-टोक के चल रहे हैं। फायर सेफ्टी एक्ट नहीं होने के कारण दमकल विभाग उक्त संस्थानों और व्यवसायिक इमारतों पर किसी तरह की कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। इन इमारतों को बनाने के लिए फायर सेफ्टी के मानदंडों का भी ध्यान नहीं रखा गया। अगर किसी मार्केट में आग लगती है तो भगदड़ जैसे हालात बनेंगे। दमकल की टीमों को आगजनी पर काबू पाने में काफी मेहनत करनी पड़ेगी। इस आपात समय के दौरान जानी और माली नुकसान ज्यादा हो सकता है।

वैसे तो सारे शहर में बिजनेस हब, दुकानें और शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं। रानी का बाग, रंजीत एवेन्यू, माडल टाउन, कचहरी चौक के आसपास, अजनाला रोड, सुल्तानविड रोड, मजीठा रोड के कई इलाकों में घरों में ही शैक्षणिक संस्थान चलाए जा रहे हैं। वहां किसी तरह के फायर सेफ्टी रूल्स को फॉलो नहीं किया गया। स्टूडेंट्स तंग सीढि़यों चढ़कर बहु मंजिला इमारतों के छोटे छोटे कमरों में पहुंचते हैं। जहां एक ही रास्ता अंदर जाने और बाहर आने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन हालातों में अगर आग लगने की घटना होती है तो नुकसान काफी हो सकता है। इस तरह की इमारतों में फायर एक्जिट रूट और फिलिग प्वाइंट्स का कहीं ध्यान नहीं रखा गया। आग लगने के हालातों में दमकल की गाड़ियों को अपने प्वाइंट्स पर ही पानी भरने जाना पड़ेगा। सरकारी स्कूलों में पुख्ता बंदोबस्त शहर के सरकारी स्कूलों में आग से निपटने के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। छेहरटा के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अग्निशमन यंत्र कई जगहों पर लगाए गए हैं। लेकिन स्कूल पुराना और तीन मंजिला होने का कारण एक्जिट डोर एक ही है। इसके अलावा अन्य सरकारी स्कूलों में होज पाइप, अलार्म सिस्टम एक्जिट रूट का पूरा बंदोबस्त किया गया है। इन हालातों में अगर आग लगने की दुर्घटना होती है तो दमकल के फायर फाइटर्स आसानी से घटनास्थल पर पहुंच कर बचाव अभियान शुरू कर सकते हैं।

तंग गलियों में संस्थानों को हो सकता है ज्यादा नुकसान शहर की तंग गलियों में कई शैक्षणिक संस्थान, व्यवसायिक इमारतें और निजी अस्पताल चल रहे हैं। जहां दमकल विभाग की गाड़ियों का पहुंचना आसान नहीं है। इन हालातों में तीन सौ से लेकर पांच सौ फुट तक की पाइपों का इंतजाम दमकल विभाग को करना पड़ता है। तंग गलियों में कम ही संस्थानों में अलार्म सिस्टम, होज पाइप और एक्जिट रूट की व्यवस्ता है। यही नहीं यह इमारतें एक दूसरे से इस तरह सटी हैं कि अगर घटना होती है तो आग एक से दूसरी इमारत तक आसानी से फैल सकती है। सभी इमारतें करवाई जा रही हैं चेक: निगम कमिश्नर नगर निगम के कमिश्नर हरबीर सिंह ने बताया कि मामले की जांच करवाई जा रही है। शहर के बाहर और वाल्ड सिटी के अंदर सभी इमारतों को चेक करवाया जा रहा है।

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